जैन धर्म की अति प्राचीन परंपरा के अनुसार कोई भी जैन संत भौतिकता की सभी वस्तुओं का त्याग करने के बाद ही जैन संत का पद प्राप्त करते हैं। दिगंबर जैन संत वस्त्र का त्याग कर देते हैं और 24 घंटे में एक बार आहार और पानी ग्रहण करते हैं। यदि 24 घंटे बाद आहार ग्रहण करने की चर्या नहीं मिल पाती है तो बिना आहार-जल के ही रहते हैं। यहां तक कि एक जगह से दूसरी जगह जाते समय पैदल ही विहार करते हैं। ऐसी कठिन जीवनचर्या को साधने वाले साधु ही दिगंबर जैन संत होते हैं। ऐसे दिगंबर जैन संत शौच आदि क्रिया शौचालय आदि में न कर खुले स्थान पर करते हैं। ऐसे में स्वच्छ भारत अभियान के तहत खुले में शौच करने पर सख्ती के चलते दिगंबर जैन के सोशल ग्रुप फेडरेशन के द्वारा मध्य प्रदेश सरकार को ज्ञापन सौपा है और जैन संतों को खुले में शौच करने के लिए छूट देने की मांग की है। इस पर मध्य प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने बताया कि जैन समुदाय के संतो को इस प्रकार की छूट देने में किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
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