तीर्थक्षेत्र सुदर्शनोदय में 10 हजार दीपों की महाआरती


पूरे देश भर में जैन समाज के पर्युषण पर्व की लहर चल रही है। राजस्थान के आवां में मुनि सुधासागर, मुनि महासागर, मुनि निष्कंप सागर, क्षुल्लक धैर्य सागर, क्षुल्ल्क गंभीर सागर जी का चातुर्मास हो रहा है। उसके पावन सानिध्य में सुदर्शनोदय तीर्थ में पर्युषण पर्व पर विशेष पूजा-आराधना एवं भक्ति की धारा प्रवाहित हो रही है। इसी दौरान बुधवार श्रद्धालुओं द्वारा सायंकालीन आरती में 10 हजार दीपकों से महाआरती कर मुनि संघ का आशीर्वाद प्राप्त किया।

पर्युषण पर्व पर श्रावण संस्कार शिविर का भी आयोजन लगभग 7 दिनों से चल रहा है, जिसमें दूर-दूर से लगभग 3 हजार से ज्यादा श्रावकगण शिविर में ज्ञानार्जन कर रहे हैं। आवां के श्री दिगम्बर जैन धर्म प्रभावना समिति के अध्यक्ष नेमीचंद्र जैन, महामंत्री पवन जैन, कोषाध्यक्ष कैलाश चंद्र और संयोजक संजय छाबड़ा ने बताया कि लगभग 3 हजार से ज्यादा शिविरार्थी धर्म को बारीकी से समझने के लिए पूरे देश से पहुंचे हुए हैं। शिविर में गुरुवार को उत्तम तप के संस्कार प्रदान किये गये।

इसी दौरान मुनि श्री सुधासागर जी ने गुरुवार को उत्तम तप धर्म के महत्व को बताते हुए अपनी इच्छाओं पर नियंत्रिण रखने की बात कही। तप में लीनता का महत्व बताते हुए उन्होंने इच्छाओं के शास्त्र सम्मत उपाय भी बताए। मुनिश्री ने तप से जीवन को निखारने के बाद मोक्ष का मार्ग बताया। उन्होंने कहा कि उत्तम तप समयसार की प्रयोगशाला है। दशलक्षण पर्व, अष्टमी और चतुर्दशी में की जाने वाली भक्ति की महिमा बताई और कहा कि ये मानव जीवन अनमोल है इसे संयम एवं तप से संस्कारित करने वाला ही अपने जीवन को शांतिपूर्ण और सुखमय बना सकता है।


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