सन्यासी बनने से पूर्व 71 की उम्र में ज्ञान चंद्र को मेंहदी लगी फिर निकली बारात


ग्वालियर  में 71 वर्षीय ज्ञान चंद्र जैन की बारात निकलने से पूर्व उनके मेंहदी लगाई गई, शादी के मंगल गीत गाये गये और आकषर्क परिधानों से दूल्हे की तरह तैयार किया गया। ज्ञातव्य हो कि स्टेशनरी का व्यवसाय करने वाले 71 वर्षीय ज्ञान चंद्र जैन जैन धर्म-मान्यताओं के मुताबिक 9 दिसम्बर को मध्य प्रदेश के भिंड नगर के बरासो में अपना सांसारिक जीवन त्याग सन्यास लेने जा रहे हैं। ज्ञान चंद्र जैन का भरा-पूरा परिवार है किंतु उन्होंने धर्म से जुड़कर सेवा करने की इच्छा ब्यक्त की। इसे सुनकर परिवार वाले थोड़ा अधीर और विचलित हुए किंतु बाद में वे सहमत हो गये।

सांसारिक जीवन को छोड़ सन्यास ग्रहण करने वाले ज्ञान चंद्र जैन के परिवार ने इसे एक उत्सव के रूप में मनाने का फैसला किया। ज्ञान चंद्र के परिवारीजनों ने वे सभी रस्में-रिवाजें निभायी, जो एक दू्ल्हे की शादी के लिए निभायी जाती हैं। फिर चाहे वो मेंहदी लगाने से लेकर मंगल गीत या फिर दूल्हे की भेषभूषा की हो। सांसारिकता को त्याग सन्यासी जीवन में प्रवेश करने से पूर्व उनके परिजनों ने ज्ञान चंद्र के हाथों में सोमवार को मेंहदी लगाई। इसके बाद महिला संगीत-नृत्य का कार्यक्रम हुआ।

परिजनों का कहना था कि हमारे परिवार का कोई व्यक्ति पहली बार सन्यासी बनकर पूरे सांसारिक दायित्वों से मुक्त हो रहा है। इसलिए वे इसे पूरी तरह से सेलीब्रेट करना चाह रहे हैं। इसीलिए दादा ज्ञान चंद्र जैन की वे सभी इच्छाएं पूरी की गई, जो बाकी रह गई थी। इसके बाद मंगलवार दोपहर दूल्हा ज्ञान चंद्र का खूब सजाया गया और बग्घी पर बैठाकर बारात निकाली गई। ज्ञान चंद्र जी की बारात नगर के मुख्य मागरे से घूमकर दानाओली जैन मंदिर पहुचंी, जहां अन्य धार्मिक रस्में निभायी गई। अब दिनांक 9 दिसम्बर को भिंड नगर के बरासो में जाकर पूरी तरह से सांसारिक दायित्वों से मुक्त हो जाएंगे।


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