कोरोना से डरें नहीं, अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं, आयुष मंत्रालय के निर्देश मानें: मुनिश्री प्रमाण सागर


सागर। कोरोना वायरस के विरुद्ध जंग लंबी रहेगी उनके अनुसार इसमें सब प्रभावित होंगे। चपेट में आएंगे, लेकिन हमें डरना नहीं है। अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं। घर में भोजन करें। जिसमें पर्याप्त पोषक तत्व शरीर को प्राप्त होते रहे। आयुष मंत्रालय और पूर्णायु जबलपुर ने जो काढ़ा उपयोग करने का बोला है वो करें।

यह बात भाग्योदय तीर्थ में विराजमान मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज ने ऑनलाइन शंका-समाधान में कही। उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक चिकित्सा से भी इसका इलाज होगा। खानपान पर ध्यान देना होगा। अमेरिका में एक वर्ष के लिए शिक्षण संस्थाए बंद हो गई हैं। कोरोना आप से हारे आप कोरोना से न हारें। भावना योग से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। उन्होंने कहा कि

पहले औसत आयु 40-50 वर्ष होती थी, लेकिन आधुनिक चिकित्सा उपकरणों से मृत्यु दर कम हुई है। जो अल्प उम्र में जा रहे हैं उनको अकाल मौत हम मान सकते हैं। लेकिन चिकित्सा रसायन से व्यक्ति की आयु को हम बढ़ा सकते हैं। यह बात भाग्योदय तीर्थ में विराजमान मुनिश्री प्रमाण सागर जी  महाराज ने ऑनलाइन शंका-समाधान में कही।

बड़ों का सम्मान करो और डरो, साथ ही अकार्य करने से भी बचो

उन्होंने कहा कि जिसके प्रति मन में सम्मान हो उनसे हमेशा डर रहता है। डर दो प्रकार का होता है जिन के प्रति खौफ होता है दूसरा जिनके प्रति श्रद्धा और सम्मान होता है उनसे भी हमें डर लगता है। आज मुझे गुरुदेव का डर लगता है जो प्रतिमूर्ति मेरे भीतर विराजमान हैं। उसको कोई आघात नहीं लगे, बड़ों का सम्मान करो और डरो, अकार्य करने से भी बचो। पहले व्यवस्था थी और मर्यादा थी लेकिन आज थोड़ा सा इन में परिवर्तन आया है।

अच्छे कार्य करने में देरी नहीं करना चाहिए

: आज मुनिश्री योगसागर जी महाराज और मुनिश्री नियमसागर जी  महाराज का दीक्षा दिवस है। दोनों वरिष्ठ महाराज की दीक्षा मोराजी सागर में हुई थी मेरा संघ में प्रवेश जो हुआ तो मुनिश्री योग सागर जी महाराज निमित्त बन थे। मेरे मन में उपापोह था। निर्णय नहीं ले पा रहा था। यह बात मार्च 84 की शुरुआत की है। आचार्यश्री राजनांदगांव में विराजमान थे और मुनिश्री योगसागर जी  महाराज शिखरजी की वंदना कर लौट रहे थे तो दुर्ग से राजनांदगांव तक मुनिश्री के साथ विहार किया और चर्चा-चर्चा में प्रेरणा मिली अच्छे कार्य में विलंब नहीं करना चाहिए। मैंने मन पक्का किया कि अब कभी नहीं लौटूंगा। 4 मार्च 1984 को राजनादगांव में आचार्यश्री से ब्रह्मचर्य व्रत लिया और फिर में घर नहीं गया। उन्होंने कहा मुनिश्री योगसागर जी महाराज  संघ के वरिष्ठ महाराज हैं। किसी का मन जब बुझने लगता है तो वह उसे जगाने का काम करते हैं।

 

— अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी


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