श्री सम्मेद शिखरजी की पवित्रता को बचाने के लिए जंतर- मंतर पर विशाल विरोध सभा आयोजित


विश्व जैन संगठन द्वारा जंतर-मंतर पर आयोजित विशाल विरोध सभा में 20 जैन तीर्थंकरों की मोक्षस्थली श्री सम्मेद शिखर को केंद्रीय वन मंत्रालय द्वारा वन्य जीव अभ्यारण घोषित करने वाले आदेश को तुरंत रद्द कर सम्पूर्ण क्षेत्र को मांस-मदिरा बिक्री मुक्त कर पवित्र “जैन तीर्थस्थल” घोषित करने, यात्री पंजीकरण और सुरक्षा जाँच व्यवस्था की मांग गिरिडीह जिले में झारखंड की सबसे ऊँची पहाड़ी ‘पारसनाथ’ से 24 जैन तीर्थंकरों में से 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष प्राप्त किया था, जिसका कण-कण जैन समाज के लिये पूजनीय है।

केंद्रीय वन मंत्रालय द्वारा इस पर्वत को बिना जैन समाज की सहमती के वन्य जीव अभ्यारण का एक भाग घोषित कर समस्त जैन समाज की भावनाओं को ठेस पहुचाई है। झारखंड प्रशासन की लापरवाही के कारण सर्वोच्च जैन तीर्थ की पवित्रता को सैर सपाटे, ट्रेकिंग और पिकनिक के नाम पर नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है। केंद्रीय वन मंत्रालय और झारखंड सरकार द्वारा जैन समाज की भावनाओं से छेडछाड़ करना दुखद व असहनीय है और भारतीय संविधान और अल्पसंख्यक समाज के अधिकारों का घोर उल्लंधन है क्योकि अल्पसंख्यक समुदायों के तीर्थो को संरक्षण प्रदान करना केन्द्र व राज्य सरकार की पूर्ण जिम्मेदारी है।

जंतर–मंतर, दिल्ली पर विश्व जैन संगठन द्वारा आयोजित विशाल विरोध सभा में संगठन के अध्यक्ष श्री संजय जैन ने बताया कि संगठन द्वारा भारत सरकार और केंद्रीय वन मंत्रालय को जैनों के सर्वोच्च तीर्थ पारसनाथ पर्वत को वन्य जीव अभ्यारण का भाग घोषित करने वाले नोटिफिकेशन को रद्द कर सम्पूर्ण पर्वत और मधुबन क्षेत्र को मांस-मदिरा मुक्त पवित्र जैन तीर्थस्थल घोषित करने और पर्वत पर स्थायी CRPF के साथ स्कैनर व बैरियर सहित सुरक्षा जांच चेक पोस्ट लगाने और पर्वतराज की पवित्रता व संरक्षण के लिए पवित्र “जैन तीर्थस्थल” घोषित करने और बिना किसी सरकारी अनुदान लिए आवश्यक मूलभूत सुविधाओं हेतु उपकरण व सामग्री निशुल्क उपलब्ध कराने हेतु 27 जनवरी 2022 और 17 मार्च 2022 को याचिका के साथ नोटिस भेजा गया था, जिस पर आज तक कोई कार्यवाही नही की गयी, जिसके विरोध में शनिवार को विरोध सभा का आयोजन किया गया, जिसमे हजारो की संख्या में जैन समाज के लोगो ने भाग लिया और अपना विरोध प्रकट किया।

जैन संत पूज्य क्षुल्लक श्री योग भूषण जी महाराज ने सर्वोच्च जैन तीर्थ के वंदना मार्ग को अतिक्रमण मुक्त कर वन मंत्रालय द्वारा जैन तीर्थ को वन्य जीव अभ्यारण के अंतर्गत घोषित किये जाने की सूचना को रद्द करने की मांग की।
इलाहबाद (उ. प्र.) से राज्य सभा सांसद श्री रेवती रमन सिंह जी और कोकराझार (आसाम) लोक सभा सांसद श्री नाबा कुमार सारनिया जी ने सर्वोच्च जैन तीर्थ श्री सम्मेद शिखर जी को वन्य जीव अभ्यारण के अंतर्गत घोषित किये जाने पर जैन समाज की आपति को उचित ठहराते हुए संसद में इस विषय को उठाने हेतु लिखित में आश्वासन दिया।

संगठन के उपाध्यक्ष व सभा संयोजक श्री यश जैन, राजेश जैन (पुष्पांजलि एन्क्लेव), विकास जैन (योजना विहार), विवेक जैन, नीरज जैन, मनीष जैन व दीपक जैन (विश्वास नगर), सुदीप जैन (मेरठ) ने पारसनाथ पर्वतराज व तलहटी क्षेत्र को मांस-मदिरा बिक्री से मुक्त कर पवित्र जैन तीर्थस्थल घोषित करने की मांग की।

महिला प्रकोष्ठ की संयोजिका रूचि जैन, नीरू जैन और यमुनापार जैन समाज के अध्यक्ष श्री मदन लाल जैन, सांध्य महालक्ष्मी के श्री किशोर जैन, अचल जैन, राजीव जैन (बलबीर नगर), डॉ इंदु जैन (छतरपुर), मयंक जैन (बिहारी कॉलोनी), प्रदीप जैन (राम नगर), वरुण जैन (ज्ञान जाग्रति मंच) और देश भर से आये विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारियों ने केंद्र व राज्य सरकार से पर्वतराज के वंदना मार्ग को अतिक्रमण मुक्त कर बैरियर व स्कैनर सहित सुरक्षा जांच तुरन्त आरम्भ करने की मांग की! जैन समाज के आदिनाथ टीवी चैनल द्वारा विरोध सभा का लाइव प्रसारण किया गया, जिसे विश्व भर के लाखो जैन बंधुओं ने देखा।

— आकाश जैन


Comments

comments