जीवन के अठारह दोषों में पहला दोष भूख- मुनि उत्तमसागर


 नसीराबाद। उत्तमसागर महाराज ने कहा कि जैन दर्शन में अठारह दोषों का वर्णन किया गया है और उसमें पहला दोष भूख बताया गया है जो सबसे बड़ा भूत है। वे स्थानीय मुख्य बाजार स्थित जैन बड़े मंदिर में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। मुनि उत्तमसागर महाराज ने बताया कि देव अरिहंत ने भूख का नाश कर दिया था। मुनि महाराज ने श्रावकों को शिक्षा देते हुए बताया कि भूख लगने के बाद खाना प्रकृति है बिना भूख के खाना विकृति है और भूख लगने के बाद भी पहले दूसरों को खिलाकर फिर खाना यह भारतीय संस्कृति है।

मुनिश्री ने धर्मसभा में श्रावकों को अन्य दाेषोें प्यास, बुढ़ापा, रोग, जन्म मरण आदि का भी वर्णन करते हुए इन्हें शांत करने और सहन करने के साधन और आध्यात्मिक तरीकों की जानकारी दी। मुनि श्री ने कहा कि भगवान बनने के बाद पसीना नहीं आता लेकिन भगवान बनने के लिए पसीना बहाना पड़ता है इसलिए 18 दोषों से रहित देवों के देव सच्चे देव के स्वरूप को जानना चाहिए।

  • अभिषेक जैन

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