शिक्षा-आध्यात्मिक ज्ञान के बूलबूते विश्व का नेतृत्व करेगा भारत, राज्यपाल


चरित्रवान समाज निर्माण के लिए पारंपरिक शिक्षा के साथ आध्यात्मिक शिक्षा की जरूरत है। अपने अध्यात्म और ज्ञान के बलबूते ही भारत दुनिया का नेतृत्व कर सकेगा। मुम्बई में उक्त उद्गार जैन दर्शन एवं विज्ञान पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के बाद राज्यपाल सी. विद्यासागर राव ने कही। कार्यक्रम का आयोजन भगवान महावीर इंटरनेशनल रिसर्च सेंटर, वि भारती इंस्टीटय़ूट लाडनू, होलिस्टिक हेल्थ आन लाइन थेरेपी कैंपस, तुलसी महाप्रज्ञ प्रज्ञाभारती ट्रस्ट एवं अहिंसा सेंटर के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया। इसके बाद उन्होंने जैन वि भारती इंस्टीटय़ूट के प्रोफेसर प्रो. मुनि महेंद्र कुमार द्वारा संपादित भगवती सूत्र के पांचवें खंड का विमोचन भी किया। समारोह की अध्यक्षता बॉम्बे हाई कोर्ट के जज के.के.तातेड ने की। कार्यक्रम में जस्टिस तातेड ने कहा कि जैन दर्शन मानवता को जियो और जीने दो का संदेश देता है। यही वह मूल सिद्धांत है, जिस पर अमल कर हम शांति और सौहार्द के साथ समाज और देश के विकास में योगदान कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जैन दर्शन में ऐसी तमाम बातें कही गयी है, जिस पर आज का विज्ञान भी मुहर लगाता है। जैन वि भारतीय इंस्टीट्टूट के प्रोफेसर प्रो. मुनिश्री महेंद्र कुमार ने कहा भगवान महावीर का दर्शन आज के विज्ञान से भी आगे है। हमारे पास जो तत्व ज्ञान है, वह बेजोड़ है, जिसका मुकाबला दुनिया का कोई भी देश कहीं कर सकता है। हमें इसका सही दिशा में इस्तेमाल करना चाहिए, जिसके लिए विज्ञान और जैन अध्यात्म के बीच सहयोग बढ़ना चाहिए। मुनि अभिजीत ने कहा कि परमाणु के सूक्ष्म कणों में लगातार परिवर्तन की बात विज्ञान मानता है। जैन दर्शन में भी यही बात कही गयी है, जिसे हम परिवर्तन प्रकृति का नियम के लगातार परिवर्तन की बात विज्ञान मानता है।


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