झारखंड के सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने के खिलाफ अनशन पर बैठे एक और जैन मुनि समर्थ सागर महाराज (Jain muni Samarth Sagar Maharaj) ने शुक्रवार के दिन देह त्याग दी। ये दूसरे जैन मुनि हैं जिन्होंने सम्मेद शिखर को बचाने के लिए अपना बलिदान दिया है। चार दिन पहले सुज्ञेयसागर महाराज (sugyeyasagar maharaj)ने अपने प्राणों का बलिदान दिया था।
जयपुर में सांगानेर के संघीजी दिगम्बर जैन मंदिर के मंत्री सुरेश कुमार जैन ने बताया कि शुक्रवार रात सुबह एक बजे जैन मुनि समर्थ सागर ने अपनी देह त्याग दी। समर्थसागर महाराज आचार्य सुनील सागर महाराज के ही शिष्य हैं। इससे पहले जब सुज्ञेयसागर महाराज ने अपने प्राणों का बलिदान दिया था तब समर्थसागर जी ने धर्मसभा के दौरान अनशन का संकल्प लिया था और तब से वह उपवास पर चल रहे थे।
मुनिश्री ने सांगानेर स्थित जैन मंदिर में अंतिम सांस ली। उनकी डोल यात्रा संघीजी मंदिर से विद्याधर नगर तक निकाली गई। इस मौके पर जैन संत शशांक सागर ने कहा कि जब तक झारखंड सरकार सम्मेद शिखर को तीर्थ स्थल घोषित नहीं करेगी तब तक मुनि ऐसे ही बलिदान देते रहेंगे। मुनि समर्थ सागर भी मुनि सुज्ञेय सागर की तरह ही सम्मेद शिखर तीर्थ रक्षा के लिए अनशन पर थे।