पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हाल में आयोजित अणुव्रत पुरस्कार समारोह कार्यक्रम में प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्रदेश में शराबबंदी लागू करने के साथ कुशल सुशासन के लिए अणुव्रत पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार जैन मुनि आचार्यश्री महाश्रमण जी द्वारा उन्हें प्रदान किया गया। अणुव्रत पुरस्कार में उन्हें जैन साहित्य, प्रशस्ति पत्र, अंगवस्त्रम और एक लाख 51 हजार रुपये का चेक प्रदान किया गया। नीतीश कुमार ने उक्त धनराशि को मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करने का ऐलान किया।
इस अवसर पर प्रदेश के राज्यपाल रामनाथ कोविद ने कहा कि बिहार गौरवशाली प्रदेश रहा है। जैन धर्म के 24 तीर्थकरों का निर्वाण स्थल बिहार और झारखंड ही रहा है। राज्यपाल ने कहा कि आचार्यश्री महाश्रमण की अहिंसा यात्रा ने बिहारवासियों में आध्यात्मिक चेतना जगाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया दुख-तखलीफ और हिंसाग्रस्त है। ऐसे में सभी भारत की तरफ आध्यात्मिकता की ललक से निहार रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में शराबबंदी के अच्छे परिणाम दिखे हैं और मुख्यमंत्री को इस पुरस्कार के लिए चुने जाने पर बधाई देते हुए कहा कि वे सहृदयता, विनम्रता और कुशल प्रशासन की प्रतिमूर्ति हैं। उन्होंने चुटकी भरे अंजाद में कहा कि यह सम्मान पूरे बिहारवासियों का है और मैं भी बिहारका ही हूं। इसलिए सम्मान में मैं भी शामिल हूं।
राज्यपाल ने कहा कि सामाजिक उत्थान के लिए शराबबंदी प्रमुख है। उन्होंने कहा कि पूर्ण शराबबंदी कानून विधानमंडल से पास होने के बाद अंतिम अनुमोदन के लिए आया था तब कई लोगों ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि यह तानाशाही कानून है, लोगों के अधिकार का हनन है। इसके बाद मैंने कई प्रबुद्ध लोगों से तीन बातें जाननी चाही कि क्या इस तरह के कानून के लिए विधानमंडल सक्षम है, यह कल्याणकाली कदम है या नहीं और सरकार की नियत ठीक है या नहीं। तीनों सवाल के जवाब हां में मिलने के बाद मैंने इस कानून को लागू करने के लिए अनुमोदित कर दिया। अंत में राज्यपाल ने राजगीर स्थित जैन रिसर्च संस्थान की तरफ से प्रकाशित दो किताबें आचार्यश्री को भेंट की।