Home Jain News लाइव डिबेट में पूनावाला ने माफी मांगने से किया इनकार, कहा मैं नास्तिक हूँ

लाइव डिबेट में पूनावाला ने माफी मांगने से किया इनकार, कहा मैं नास्तिक हूँ

0
लाइव डिबेट में पूनावाला ने माफी मांगने से किया इनकार, कहा मैं नास्तिक हूँ

मुनिश्री तरुण सागर जी के बारे में विशाल ददलानी और पूनावाला द्वारा की गयी अभद्रतापूर्ण टिप्पणी पर कई जैन संगठनों सहित अन्य सामाजिक संगठनों ने कड़ी र्भत्सना और निंदा की है। यह मुददा सोशल मीडिया सहित न्यू चैनलों पर जोर-शोर से छाया रहा। इसी मुददे पर IBN 7 , NDTV,  ABP,  TOTAL न्यूज चैनल पर लाइव डिबेट हुई, जिसमें नेताओं, धर्मगुरुओं ने हिस्सा लिया । न्यूज एंकर सहित डिबेट में बैठे सभी लोगों ने विशाल एवं पूनावाला के अपमानजनक ट्वीट की निंदा की और इसे देश के संतों का अपमान बताया। लाइव डिबेट में मुनिश्री तरुण सागर जी और पूनावाला लाइव हुए किंतु पूनावाला ने मुनिश्री की बातों से सहमत नहीं जतायी तथा गलती स्वीकार नहीं की तथा कहा कि मैं नास्तिक हूं। यदि पूनावाला नास्तिक है तो उसे कोई आस्तिक नहीं बना सकता ,फिर किसी धर्मगुरू के बारे में अपमानजनक टिप्पणी क्यों की? पूनावाला ने लाइव डिवेट में हद तक कर दी जब चैनल पर मुनिश्री और पूनावाला लाइव थे और एंकर ने पूनावाला को कहा कि क्या अपने कृत्य पर माफी मांगेंगे किंतु पूनावाला ने एक बार भी माफी नहीं मांगी बल्कि मुनिश्री से कुतर्क करते रहे? खैर ईर उनको सदबुद्धि प्रदान करे।

डिबेट में हिंदू महासभा के धर्मगुरू चक्रपाणि जी ने तो यहां तक कह दिया कि पूनावाला को इस अपराध के लिए तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाना चाहिए। पूनावाला ने अपने ट्वीट में मुनिश्री के बगल में एक अश्लील फोटो लगाकर पोस्ट कर दिया, जिसको चैनल वाले बार-बार कह रहे थे कि यह हम आपको नहीं दिखा सकते। पूनावाला को जानना चाहिए कि हर धर्म के अपने-अपने सिद्धांत और परम्परायें होती हैं किंतु किसी भी धर्म के गुरुओं का इस तरह अपमान नहीं करना चाहिए। यदि पूनावाला में जरा सी भी इंसानियत या मर्यादा है तो उन्हें अपने किये गलत कृत्य के लिए सार्वजनिक माफी मांग लेनी चाहिए क्योंकि माफी मांगने वाला कभी छोटा नहीं होता बल्कि वह और उसकी आत्मा पावन और पवित्र हो जाते हैं।  इसके बाद भी यदि वह ऐसा नहीं करते हैं तो फिर यह मान लेना चाहिए कि वह अच्छे इंसान है ही नहीं और ऐसे लोग समाज और देश के लिए कतई अच्छे नहीं हो सकते, क्योंकि जिसकी सोच ऐसी है वह इंसान अच्छा हो ही नहीं सकता।


Comments

comments