संल्लेखना के 13 दिन बाद हुआ मुनि सुस्थिर महाराज का समाधिमरण


बांसवाड़ा। यम संल्लेखना लेने के 13 दिन बाद 89 वर्षीय मुनि श्री सुस्थिर सागरजी महाराज का गुरुवार देर रात समाधिमरण हो गया, जिनकी चकडोल यात्रा शुक्रवार को निकाली गई, जो बाहुबली कॉलोनी के मुख्य मार्गों से होती हुई खांदू कॉलोनी के पीछे समाधिस्थल पहुंची। जहां मुनि श्री धर्म भूषण जी महाराज, मुनि श्री सुरतेश सागर जी महाराज, क्षुल्लक श्री सुमित्र सागर जी महाराज के सान्निध्य में जैन धर्म की परंपरा अनुसार मुनि सुस्थिर महाराज की अंतिम क्रिया की गयी।

उनको मुखाग्नि  मुनिश्री के गृहस्थ जीवन के पुत्र अहमदाबाद निवासी डॉ. मनोज सिंंघवी, इंजीनियर गाेपेश सिंघवी, निकुंज सिंघवी सीए, हिमांशु सिंघवी आ दिश सिंघवी ने किया। इस दाैरान  श्रद्धालु बड़ी संख्या में माैजूद रहे।

दो बेटियां भी अध्यात्म के मार्ग पर :

मुनिश्री की गृहस्थ जीवन की दो बेटियां भी धर्म मार्ग पर अग्रसर हैं। मुनिश्री के गृहस्थ जीवन के पुत्र गोपेश भाई सिंघवी ने बताया कि एक बेटी आशा दीदी ने सात प्रतिमा के व्रत लिए हैं और छाया दीदी ने वर्ष 2017 में आर्यिका दीक्षा ली और अब उनका नाम आर्यिका शाश्वतश्री है।

मुनिश्री की जीवन यात्रा:

मुनि श्री  सुस्थिर सागर जी महाराज के गृहस्थ जीवन का नाम अरविंद कुमार सिंघवी था, वे नरोड़ा अहमदाबाद के मूल निवासी थे। जिन्होंने कई वर्षों तक बैंक में मैनेजर के पद पद कार्य किया और बाद में उनका मन स्वाध्याय और धर्म में रम गया। जिसके चलते उन्होंने वर्ष 1982 में आचार्य सुमति सागर जी  महाराज से दो प्रतिमा के व्रत लिए। उसके बाद वर्ष 1996 में गुजरात के ईडर में आचार्य श्री  विद्यासागर जी महाराज से सात प्रतिमा के व्रत लिए। वहीं उन्होंने बांसवाड़ा बाहुबली कॉलोनी में 7 अगस्त 2016 काे क्षुल्लक दीक्षा आचार्य सुनील सागर जी महाराज से ली थी।

मुनिश्री के गृहस्थ जीवन की पत्नी ने भी आर्यिका दीक्षा ली थी

उल्लेखनीय है कि मुनि श्री  सुस्थिर सागर जी महाराज के गृहस्थ जीवन की धर्म पत्नी अरुणा देवी ने भी वर्ष 2014 में आचार्य चैत्य सागर जी महाराज से आर्यिका दीक्षा ली थी, इसके बाद समाधि मरण हुआ था।

 

       — अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी


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