देश का एक मात्र ऐसा जैन मंदिर, जहां कल्याण स्त्रोत की 44 गाथाएं लिखी हुई हैं।


उज्जैन के दानीगेट स्थित 2300 वर्ष प्राचीन देश का एक मात्र एक ऐसा जैन मंदिर है, जहां मंदिर के अंदर कल्याण स्त्रोत की 44 गाथाएं देहरियों पर लिखी हुई हैं। कल्याण स्त्रोत की 44 गाथाएं लिखी होने और पूरे देश के 108 पाश्र्वनाथ मंदिरों में इसके शामिल होने है, यही कारण है कि इसे देश के महत्वपूर्ण मंदिरों में गिना जाता है। आचार्य मरिप्रभ सागर जी महाराज के दिशा-निदेॅशन एवं उनकी प्रेरणा से देशभर के समाज के आर्थिक सहयोग से वर्ष 2008 में इसका जीर्णोद्धार शुरू हुआ।

राजस्थान के मकराना के सफेद मार्बल से इस प्राचीन मंदिर को एक नये स्वरूप में राजस्थान के लगभग 100 कारीगरों कारीगरी का काम किया जा रहा है और वर्ष 2018 में इसकी प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारियां चल रही हैं। आचार्यश्री स्वयं विहार करके 30 मई को इस भव्य कार्यक्रम की रूपरेखा बनाने उज्जैन आ रहे हैं। मंदिर जीर्णोद्वार समिति के अध्यक्ष पुखराज चौपड़ा, ट्रस्ट अध्यक्ष हीराचंद्र छाजेड़ ने बताया कि आचार्य यहां एक दिन रुककर समाजजनों केसाथ कार्यक्रम को लेकर चर्चा करेंगे और अगले चातुर्मास हेतु राजस्थान के बीकानेर के लिए रवाना होंगे।


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