Home Jain News पूज्य मुनि श्री क्षमासागर जी महाराज के समाधि दिवस पर भाव भीनी विनयांजलि

पूज्य मुनि श्री क्षमासागर जी महाराज के समाधि दिवस पर भाव भीनी विनयांजलि

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पूज्य मुनि श्री क्षमासागर जी महाराज के समाधि दिवस पर भाव भीनी विनयांजलि

कहते है पुण्य की जड़े हरी होती और  जिस नगर को आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी की आशीष और और उनके शिष्य का वर्षायोग मिल जाता है वह धरा और पावन हो जाती है जी हा क्षमामूर्ति अनुशासन प्रिय यंग जैना अवार्ड प्रणेता मुनि श्री क्षमा सागर जी महाराज व भव्य सागर जी महाराज का वर्षायोग 2003 रामगंजमंडी नगर को मिला जो अभूतपूर्व धर्मप्रभावना मे एक मिसाल बन गया युवाओ ने बच्चो ने व हर वर्ग धर्म से जुड़ा

परम पूज्य मुनि श्री क्षमासागर जी महाराज व मु नि श्री भव्य सागर जी महाराज का वर्षायोग हेतु 10—7-2003 को रामगंजमंडी नगर मे भव्य आगमन हुआ नगर को दुल्हन  की तरह सजाया गया था  सम्पूर्ण नगर मे आचार्य गुरुवर की जय जयकार गूंज रही थी वही सम्यक घोष इस अगवानी को और पुलकित कर रहा था  जगह जगह पाद प्रक्षालन आरती की गयी नगर भ्रमण उपरांत मुनि संघ शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर मे जिनालय के दर्शन किये और प्रभु शांतिनाथ भगवान की प्रतिमा को एक टक निहारा दर्शन उपरांत मुनि श्री क्षमासागर जी महाराज द्वारा प्रथम आशीर्वचन दिया महाराज श्री बहुत भावुक मन से बोले मुझे लगा यहा की समाज यहा भक्ति कैसी होगी यह सोचकर मे चकित था जैसे ही नगर मे आगवानी हुयी मैने देखा आचार्य गुरुवर की जय जयकार गूंज रही है मुनि श्री भावुक हो उठे ऐसा उद्बोधन वहा मोजूद समुदाय को भावुक कर गया आज भी वह उद्गार मेरे ह्रदय को छु जाते है

मंगल कलश स्थापना 12 -7-2003

पूज्य मुनि संघ का चातुर्मास कलश स्थापना का पल आ गया इन फ़्लो का साक्षी बनने को हर समाज जन पलक फावडे बिछाकर आतुर था वही अन्य समुदाय भी इससे अछूता नहीं रहा

यंग जैना अवार्ड  इतिहास के पन्नो पर अमिट  4-10-2003 व 5-10-2003 धर्म से जोड़ा

पूज्य मुनि श्री क्षमासागर जी महाराज की प्रेरणा आशीर्वाद व पावन सानिध्य मे वह इतिहास बना 4-10 -2003 का वह समय जब सम्पूर्ण भारत वर्ष के जैन छात्र छात्राये जिन्होंने 10 th व 12th मे मे 85 प्रतिशत से अधिक प्राप्त किये उनको आगमन उंनके अभिवावक के साथ हुआ वह आयोजन ऐसा था जिसकी परीकल्पना  कोई सोच नहीं सकता ऐसा  आयोजन रामगंजमंडी इतिहास मे स्वर्णिम है उंनके आवास वह अन्य व्यवस्था का समुचित इंतजाम था प्रथम दिन मुनि श्री की आहरचर्या श्रीमान अजित जी सेठी परिवार के यहा हुयी लगभग 300 से अधिक AWARDI और उंनके  अभिवावकगण ने आहार दिया सारा नगर  AWARDI से भरा सम्पूर्ण नगर मे इसकी चर्चा रही दोपहर की बेला मे मुनि श्री सभी AWARDI और परिवारजन से मिले और सभी ने धर्म से जुड़कर रात्री भोजन का त्याग व ज़मीकंद का त्याग किया वही एक क्विज भी आहूत हुआ जिसमे प्रथम द्वितीय तृतीय को पुरुस्क्रत किया गया वही 5 OCT2003 का पल आ गया जब AWARD समारोह का पल था पूरा नगर दुल्हन की तरह सजा था वह पल आया जब 5 OCT 2003 का पल मुनि श्री की आहरचर्या का था जब हमारे आवास पर मुनि श्री का आहार हुआ लगभग 300 से अधिक AWARDI और उंनके  अभिवावकगण ने आहार दिया अन्य कार्यकर्ता भी रहे पूरे आवास पर भारी हजूम विधमान था हम तो गदगद थे ऐसे पल बिरलों को ही मिलते है वह पल आ गये जिसकी साक्षी कृषि उपज मंडी रामगंजमंडी रही 5 oct 2003 को AWARDI को पुरुस्क्रत किया गया ऐसा आयोजन नगर मे प्रथम था आज यह बच्चे कोई डॉक्टर कोई इंजीनियर कोई कलेक्टर या अन्य पदो पर रहकर देश की सेवा मे मिसाल कायम कर रहे है

पिछिका परिवर्तन 2-11-2003

मुनि श्री क्षमासागर जी महाराज व मुनि श्री  भव्य सागर जी महाराज का 2-11-2003 कॉ पिछिका परिवर्तन हुआ जिसका साक्षी कृषि उपज मंडी रामगंजमंडी बना  मुनि श्री भव्य सागर जी की पुरानी पिच्छिका लेने का सोभाग्य श्री निर्मलकुमार जी कनकमाला जी लाबाबाँस कॉ मिला यह पिछिकाये संयम गहण करने वालों कॉ प्रदान की गयी परम पूज्य मुनि श्री क्षमासागरजी महाराज और  वोह दिव्य अलोकिक क्षण जिस दिन 2–11-2003  जब मुनि श्री का पिच्छिका परिवर्तन  था उस दिन की आहार राजमल पदम् कुमार यानि हमारे निवास पर हुआ और वक़्त आया पिच्छिका देने लेने का तभी घोषणा हुयी मुनिवर की पिच्छिका पदमकुमार सुलोचना लुहाडिया को प्राप्त हुयी यानि माताजी पिताजी को सारा प्रागंण जय जय कारो से गूंज रहा था मन मेरा गदगद था ऐसे महान तपस्वी संत की पिच्छिका हमारे यहाँ मन तो कहेने लगा मेरी तो डोर बंद गयी है मेरी तो पतंग उड़ गयी है

आचार्य श्री का 32 वा आचार्य पद प्रतिष्ठा महोत्सव मनाया गया

मुनि संघ के सानिध्य मे 11 -11-2003 कॉ आचार्य श्री विधासागर जी महाराज का आचार्य पदारोहण दिवस मनाया गया दोनों मुनि श्री ने आचार्य श्री के जीवन पर प्रकाश डाला और संस्मरण  सुनाये व समाज द्वारा आचार्य श्री की आरती की गयी

9-11-2003 कॉ मुनि श्री के ग्रहस्थ जीवन के पिता श्री पधारे और दीप प्रज्वलित किया

मुनि श्री क्षमासागर जी महाराज के ग्रहस्थ जीवन के पिता श्री जीवनलाल जी सिंघई पधारे उन्होने आचार्य श्री के चित्र के सामने दीप प्रज्वलित किया और भाव भीना उदबोधन दिया

इतिहास के पन्नो पर अमिट वर्षायोग

मुनि संघ का वर्षायोग इतिहास के पन्नो पर सदा  अमिट रहेगा मुनि श्री ने युवा वर्ग कॉ अनुशासित किया साथ ही कर्म  सिद्धान्त शंका समाधान के माध्यम से समाज कॉ जाग्रत किया नयी रोशनी दी काव्य ह्रदय मुनि श्री क्षमासागर जी महाराज सचमुच क्षमा की मूर्ति थे उनका वात्सलय सदा अक्षुण्ण रहेगा

भाव भीनी विनयांजलि

 

     — अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी


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