मध्य प्रदेश का ग्वालियर नगर अपनी महत्ता और पुरातात्विकता के लिए विश्व विख्यात है साथ ही किले के अंदर अति प्राचीन प्राचीन जैन प्रतिमाएं बनी हुई हैं। किले की तलहटी में 26 गुफाओं में अनेकोनेक जैन तीर्थकरों की छोटी एवं विशाल प्रतिमाएं अंकित हैं। एक अनुमान के अनुसार किले की तलहटी में बनी इन गुफाओं में जैन जैन तीर्थकर प्रतिमाओं का निर्माण तोमर काल में राजा डूंगर सिंह (1425-59 ई.) के समय हुआ था। इसका अभिलेख भारतीय पुरातत्व एवं सव्रेक्षण विभाग के पास मौजूद है। किले में स्थित जैन गुफाओं के पास ही विश्व प्रसिद्ध वावड़ी है, जिसे पत्थर को काटकर बनाया गया है, जिसमें 24 घंटे ताजा एवं शुद्ध सफेद पानी बहता रहता है। इसको देखने देश से ही नहीं विदेश से भी लोगों का आना-जाना लगा रहा है। पुरातत्व विभाग ने सुरक्षा की दृष्टि से वावड़ी के चैनल पर ताला डाल दिया है। चमत्कार है कि आज भी इन वावड़ियों में 24 घंटे पानी प्रभाहित होता रहता है। मुगल शासनकाल में इन जैन प्रतिमाओं को खंडित किया गया था। इसी के पास गोपाचल पर्वत पर भी सुंदर जैन प्रतिमाएं स्थापित हैं। ये प्रतिमाएं और कलाकृतियां देश-विदेश के पर्यटकों को अनायास ही अपनी ओर आकषिर्त करती हैं। पुरातत्व विभाग ने सन 1904 में इस स्मारक को राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक घोषित किया है। अब इसे नान लिविंग टेंपल कहा जाता है।