Home Jain News मंझवा जैन मंदिर के सभी प्रतिमाओं का शोभायात्रा में निकलते ही उमड़ा जनसैलाब, गुरुपूजन में सामाग्रियों की झांकी बना आकर्षण का केंद्र

मंझवा जैन मंदिर के सभी प्रतिमाओं का शोभायात्रा में निकलते ही उमड़ा जनसैलाब, गुरुपूजन में सामाग्रियों की झांकी बना आकर्षण का केंद्र

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मंझवा जैन मंदिर के सभी प्रतिमाओं का शोभायात्रा में निकलते ही उमड़ा जनसैलाब, गुरुपूजन में सामाग्रियों की झांकी बना आकर्षण का केंद्र

पटना। मिर्जापुर: उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर जिला स्थित गांव मंझवा में गुरुवार को उस वक्त एक ऐसा अद्भुत विहंग नजारा देखते ही बन रहा था जब जैन धर्मावलंबियों ने अतिशयकारी जिन मंदिर में विराजित सभी अत्यंत प्राचीन जिन प्रतिमाओं को अपने मस्तक पर विराजमान कर भव्य शोभायात्रा निकाले।

अवसर था जैनाचार्य श्री 108 विराग सागर जी महाराज की आज्ञानुवर्ती सुशिष्या संस्कार प्रणेतृ आर्यिका 105 विकाम्या श्री माता जी की 15 वां दीक्षा दिवस व गुरु उपकार दिवस का। कार्यक्रम की शुरुआत में सर्वप्रथम मंदिर जी में मूलनायक श्री 1008 भगवान पार्श्वनाथ जी के समक्ष जैन श्रद्धालुओं ने देव आज्ञा ली। इसके पश्चात जिनालय में समोशरण पर विराजमान सभी जिनेन्द्र देव की प्रतिमाओं को श्रद्धालु अपने मस्तक पर विराजमान कर गाजे-बाजे के साथ धूमधाम से भव्य शोभायात्रा निकाली।

शोभायात्रा में 37 प्रतिमाओं को मस्तक पर लिए श्रद्धालु कतारबद्ध हर्षोल्लासपूर्वक चल रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसा साक्षात भगवान का समोशरण ही नगर में चल पड़ा है। साथ ही अष्टद्रव्य की थाल बहुत ही खूबसूरत सुसज्जित तरीके से बनाया गया था। जो शोभायात्रा की झांकी में आकर्षण का केंद्र बना रहा। जिसे विभिन्न स्थानों से पहुंची बालिकाओं ने अपने हाथों में लेकर समारोह स्थल तक ले गए।

इस दौरान आसमान में लहर रहे पंचरंगा जैन ध्वज यात्रा की शोभा बढ़ा रही थी। साथ ही भगवान पार्श्वनाथ , अहिंसा परमो धर्म , जियो और जीने दो , जय जय गुरुदेव जैसे अनेक जयकारों से मंझवानगरी गुंजायमान हो उठा। इस ऐतिहासिक अलौकिक दृश्य को देखने लिए श्रद्धालु आतुर दिख रहे थे। जिसमें जैन समाज के काफी संख्या में  आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा।

वहीं समारोह स्थल पर आर्यिका विकाम्या श्री माता जी ससंघ के सानिध्य में सभी प्रतिमाओं का अभिषेक , महाशांतिधारा व पूजन-अर्चना की गई। एक साथ 37 जिन प्रतिमाओं का महाशांतिधारा भक्तों को अपने ओर खींच रहा था। जो बेहद ही अलौकिक और अद्भुत नजारा था। शांतिधारा पाठ आर्यिका श्री 105 विगूँजन श्री माता जी के मुखारबिंद से हुआ।

इसके पश्चात गुरुदेव गणाचार्य श्री विराग सागर जी महाराज का चित्र अनावरण और दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। वहीं श्रावकों द्वारा मंचासीन गुरु माँ आर्यिका विकाम्या श्री माता जी का पाद प्रक्षालन किया गया एवं वस्त्र व शास्त्र भेंट की गई।

वहीं संगीतमयी वातावरण में भक्तिभाव पूर्वक गुरु पूजन की गई। जिसमें राजस्थान , गुजरात , तमिल , उत्तरप्रदेश , कन्नड़ , मराठी प्रांतों से गुरुपूजन में आकर्षक सुसज्जित थाल में अष्टद्रव्य के लेकर अर्घ्य भेंटने श्रद्धालु पहुंचे। साथ ही गुरु माँ आर्यिका विकाम्या श्री माता जी के 15 वें दीक्षा दिवस पर सकल जैन समाज ने उत्साहपूर्वक उनके श्री चरणों में अर्घ्य समर्पित किया।

इसके उपरांत आर्यिका विकाम्या श्री माता जी ने अपने संस्कार दिव्य वाणी से धर्म सभा को संबोधित किया। साथ ही इस मौके पर मौजूद कई गणमान्य अतिथियों ने जैन धर्म और गुरु माँ के चरणों में अपने विचार व्यक्त किये।

 

— प्रवीण जैन (पटना)


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