रेवाड़ी में होगा आचार्य अतिवीर मुनिराज का चातुर्मास


प्रशममूर्ति आचार्य श्री 108 शान्तिसागर जी महाराज (छाणी) परंपरा के प्रमुख संत परम पूज्य आचार्य श्री 108 अतिवीर जी मुनिराज का मंगल चातुर्मास हरियाणा की पुण्यधरा पर प्रथम बार स्थापित होने जा रहा है। पिछले लगभग 14 वर्षों से पीतल नगरी रेवाड़ी की सकल जैन समाज आचार्य श्री से चातुर्मास की स्वीकृति प्रदान करने का निवेदन करती आ रही है। इस वर्ष पुनः चातुर्मास का समय नज़दीक आने पर रेवाड़ी जैन समाज का प्रतिनिधिमंडल दिल्ली में विराजमान पूज्य आचार्य श्री के चरणों में चातुर्मास की विनती लेकर पहुंचा। सभी की प्रबल भावना थी कि अब यह वनवास का समय पूर्ण हो और पूज्य आचार्य श्री रेवाड़ी नगरी को चातुर्मास की स्वीकृति प्रदान कर कृतार्थ करें।

इसी भावना के अनुरूप रेवाड़ी सकल जैन समाज भारी संख्या में आचार्य श्री के सान्निध्य में शकरपुर दिल्ली में चल रहे पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के अवसर पर पहुंचे। दिनांक 24 जून 2022 को ज्ञान कल्याणक के अवसर पर भव्य समवशरण रचना के मध्य गणधर के रूप में विराजमान पूज्य आचार्य श्री 108 अतिवीर जी मुनिराज ने आगामी चातुर्मास 2022 हरियाणा की धर्मनगरी रेवाड़ी में करने की मंगल घोषणा कर सभी भक्तों को प्रफुल्लित कर दिया| चातुर्मास की घोषणा से समस्त समाज में हर्ष की लहर दौड़ पड़ी तथा समस्त वातावरण जयकारों से गूंज उठा| आचार्य श्री ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि जिन्हें चातुर्मास मिला, वह फूलना नहीं और जिन्हें नहीं मिला, वह कुड़ना नहीं| रेवाड़ी जैन समाज की भक्ति अनुपम है| आचार्य श्री ने कहा कि आगामी चातुर्मास ज्ञान-ध्यान-तप-साधना पर मुख्य रूप से केंद्रित रहेगा तथा भीतर के परिणामों की विशुद्धि बढ़ाने का स्वर्णिम अवसर लेकर आएगा|

महामंत्री श्री राहुल जैन ने बताया कि चातुर्मास काल में आचार्य श्री के पावन सान्निध्य में ऐतिहासिक व विराट कार्यक्रमों का आयोजन होगा। दिनांक 29 जून 2022 को आचार्य श्री का राजधानी दिल्ली के ऐतिहासिक श्री दिगम्बर जैन लाल मन्दिर, चांदनी चौक से रेवाड़ी की ओर मंगल विहार प्रारम्भ होगा तथा गुरुग्राम, शिकोहपुर, कासन, बिलासपुर, धारुहेड़ा आदि विभिन्न क्षेत्रों में धर्मप्रभावना करते हुए शीघ्र ही आचार्य श्री का रेवाड़ी में भव्य मंगल प्रवेश होगा। आचार्य श्री द्वारा चातुर्मास के लिए स्वीकृति मिलने पर समस्त रेवाड़ी समाज स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहा है|

 

— समीर जैन


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