Home Jain News सुगंध दशमी पर जैन मंदिरों में धूप खेने उमड़े श्रद्धालु, महिलाओं ने रखे उपवास

सुगंध दशमी पर जैन मंदिरों में धूप खेने उमड़े श्रद्धालु, महिलाओं ने रखे उपवास

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सुगंध दशमी पर जैन मंदिरों में धूप खेने उमड़े श्रद्धालु, महिलाओं ने रखे उपवास

ललितपुर। दसलक्षण महापर्व के छठे दिन रविवार को उत्तम संयम धर्म मनाया गया। इस दौरान सुगंध दशमी के पर्व पर सभी जैन मन्दिरो में धूप खेई गई और कथा का वाचन हुआ।उत्तम संयम धर्म पर सुबह जैन मंदिरों में जिनेन्द्र भगवान के अभिषेक एवं शांतिधारा  हुई।

इस अवसर पर अटा जैन मंदिर में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए वाककेशरी आचार्य श्री विनिश्चय सागर महाराज ने उत्तम संयम धर्म पर अपनी अमृतमयी वाणी में कहा कि संयम ही जीवन का श्रृंगार है। मनुष्य संयम धारण कर सकता है, इसलिए समस्त जीवों में वह श्रेष्ठ है।

जीवन रूपी नदी के लिए संयम धर्म का पालन करना जरूरी है। संयम को हम बंधन कह सकते हैं। लेकिन यह बंधन सांसारिक प्राणी के लिए दुखदाई नहीं वरन्‌ दुखों से छुटकारा दिलाने वाला है। नदी बहती है पर तटों का होना जरूरी है। इसी प्रकार संयमी जीवन ही अपने अनंत सुखों को प्राप्त कर सकता है। संयम को धारण करने का हमें पूर्ण अधिकार मिला है लेकिन सांसारिक प्राणी पंचेन्द्रिय विषय के वशीभूत होकर इससे दूर भागते हैं। जिससे वह जीवन रूपी गाड़ी में सफल नहीं हो पाते हैं।

संयम एक प्रकार का आत्मानुशासन है । लोग दूसरों पर शासन करना चाहते हैं ,लेकिन खुद अनुशासित नहीं हो पाते हैं । अच्छा शासन भी वही कर सकता है जो निज पर शासन करना जनता हो । हमें ईमानदारी से विचार करना है कि हम इन्द्रियों के दास हैं या इन्द्रियां हमारी दास हैं ?

प्राणी और इन्द्रीय संयम के भेद से यह दो प्रकार का है। प्राणियों की रक्षा करना प्राणी संयम है। जबकि पंचेन्द्रिय विषयों से विरक्ति और मन की आकांक्षाओं पर नियंत्रण इन्द्रीय संयम है।

संयम के बिना जीवन बिना ब्रेक की गाड़ी की तरह

डॉ सुनील संचय ने कहा कि संयम के बिना हमारा जीवन बिना ब्रेक की कार की तरह है । कार में ब्रेक हो तो कार अन्यथा बेकार । उसी प्रकार जिसके जीवन में जरा सा भी संयम नहीं है उसका जीवन भी बेकार । सभी जन्मों में मनुष्य जन्म ही ऐसा जन्म है जिसमें संयम धारण करने की सामर्थ्य है ।इसलिए हमें मनुष्य भव का उपयोग संयम धारण कर के कर लेना चाहिए  । मानव आज दिन प्रतिदिन मर्यादायें तोड़ता जा रहा है । खानपान की मर्यादायें टूट रही हैं । अभक्ष्य , अस्पृश्य और मादक पदार्थ तक भोजन में सम्मिलित होने लगे हैं । तामसिक और चटपटी मसालेदार वस्तुयें ज्यादा रुचिकर लगती हैं । जो असंयम की पोषक , रागवर्धक तो होती ही हैं स्वास्थ्य के लिये हानिकारक भी होती हैं । तरह – तरह के पान मसाले , गुटखा , तम्बाखू आदि के दुष्परिणाम विभिन्न रोग ( यहां तक कि केंसर आदि ) के रूप में भी देखने में आ रहे हैं । अधिकांश सौंदर्य प्रसाधन की सामग्री हिंसात्मक तरीके से तैयार होती है।ऐसे इन काम भोगों का परिणाम समझते हुए हमें संयम अपनाने की प्रेरणा लेनी चाहिए ।

ब्र. राहुल भैया ने कहा कि सांसारिक प्राणी को संयम का पालन करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि जो इंद्रिय पर विजय प्राप्त कर लेता है, वह निर्वाण प्राप्त कर सकता है। हम अपने  ये काम भोग क्षण भर सुख और चिरकाल तक दु : ख देने वाले हैं , बहुत दु : ख और थोड़ा सुख देने वाले हैं ,संसार से मुक्ति होने के विरोधी और अनर्थों की खान हैं ।

सुगंध दशमी मनाई, महिलाओं ने रखे उपवास

दिगंबर जैन समाज के तत्वावधान में रविवार को सुगंध दशमी पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया।

नगर के जिनभक्त रविवार को सुबह सुगंध दशमी मनाने के लिए हवन की धूप लेकर घर से निकल पड़े जो शाम तक जारी रहा। भक्तों ने नगर के सभी जैन मंदिरों में  पहुंच कर तीर्थंकर शीतलनाथ भगवान की भक्ति भाव से पूजा अर्चना की। तत्पश्चात उन्होंने सामूहिक रूप से धूप खेवन कर अपने- अपने कर्मों की निर्जरा की।  वहीं महिलाओं ने व्रत, उपवास रखे। हर साल पर्यूषण पर्व के दौरान तिथी दशमी को यह पर्व सुगंध दशमी के नाम से मनाया जाता है। सुगन्ध दसमी पर्व को लेकर शहर के नगर के अटा जैन मंदिर, क्षेत्रपाल, आदिनाथ मंदिर, समवसरण मंदिर, शांतिनाथ मंदिर नई बस्ती, पार्श्वनाथ मंदिर इलाइट, बड़ा मंदिर, नया मंदिर, सिविल लाइन मंदिर, बाहुबली नगर, डोडाघाट, सिविल लाइन आदि जैन मंदिरों में धूप चढ़ाने के लिए दिनभर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही।

दोपहर में सुगंध दशमी पर्व को लेकर अटा जैन मंदिर से शोभायात्रा निकाली गई जिसमें आचार्य श्री विनिश्चय सागर जी महाराज ससंघ चल रहे थे। उन्होंने बड़ा जैन मंदिर, नया जैन मंदिर की संघ सहित वंदना की। रात्रि में नगर के जिनालयों में संगीतमयी आरती, शास्त्र प्रवचन और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गए। नई बस्ती स्थित आदिनाथ जैन मंदिर में स्याद्वाद वर्द्धमान सेवा संघ के तत्वावधान में तंबोला प्रतियोगिता आयोजित की गई। अटा जैन मंदिर में सोमवार को धार्मिक निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा।

धर्मसभा से पूर्व अचार्य विद्यासागर जी व आचार्य श्री विराग सागर जी महाराज के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन श्रावक श्रेष्ठि जनों ने किया। प्रश्न मंच मुनि श्री प्रांजल सागर जी के निर्देशन में किया गया।

इस अवसर पर ब्र. श्रीपाल भैया जी, जैन पंचायत के अध्यक्ष इंजी. अनिल अंचल, महामंत्री डॉ. अक्षय टडैया, संयोजक प्रदीप सतरवांस, धार्मिक आयोजन समिति के संयोजक मनोज बबीना, सुंदरलाल अनौरा,कपूरचंद लागौन, भगवान दास कैलगुवा, शीलचंद्र अनौरा,अक्षय अलया,  डॉ. सुनील संचय, संजीव ममता स्पोर्ट्स,  गेंदालाल सतभैया,मुकेश सराफ,  संजय मोदी, सतीश नजा, सनत खजुरिया,महेंद्र मयूर, राजेन्द्र थनवारा, अभिषेक, महेंद्र पंचम, अमित चंदन, पत्रकार राहुल जैन, अनिल अलया, सतेंद्र गदयाना, शुभेन्दू जैन, चंचल पहलवान, वीणा जैन, अभय जैन,संतोष गोयल, जिनेंद्र कामरेड, संजीव जैन आदि सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।


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