Home Jain News निंदा से न डरें क्योंकि जिंदा की ही निंदा होती है : तरुण सागर

निंदा से न डरें क्योंकि जिंदा की ही निंदा होती है : तरुण सागर

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निंदा से न डरें क्योंकि जिंदा की ही निंदा होती है : तरुण सागर
Muni Shri Tarun Sagar Preaching

अम्बाला, राष्ट्रसंत मुनिश्री तरुण सागर जी महाराज ने अपने प्रवचन में सत्यता, कटु संदेश के साथ आनन्द यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को खूब हसांया और कई ऐसी बारीक बातें बताई कि जिनका पालन करने से जीवन सदा खुशियों से महक सकता है। मुनिश्री ने कहा सुख-दुख एक ही सिक्के दो पहलू हैं। यदि सुख ज्यादा देर नहीं टिका तो दुख भी ज्यादा देर तक टिकने वाला नहीं है। मानसिकतौर पर मजबूत और हौसलामंद लोगों को कुछ बाधाएं आएंगी जरूर किंतु वे कुछ नहीं बिगाड़ सकती। स्वयं को नियंत्रित रखें और प्रमु भक्ति से ऊर्जा प्राप्त करें। मुनिश्री ने आगे कहा कि प्रमु से प्रार्थना करो कि हे प्रमु मुझे दुश्मनों की चिंता नहीं है किंतु मुझे मायावी दोस्तों से जरूर बचाना क्योंकि जीवन में जितने भी अवगुण (ऐब) आते हैं, वह दोस्तों की वजह से ही आते हैं क्योंकि पहली बार शराब पीने या गुटखा खाने के लिए किसी और ने नहीं बल्कि किसी दोस्त ने ही कहा होगा। मुनिश्री ने कहा कि किसी भी बड़े कार्य को कामयाब बनाने के लिए भीड़ की जरूरत नहीं होती। चार जिंदादिल एकसाथ मिल जाएं तो समाज की तस्वीर बदल सकते हैं। चार जिंदा हजार मुर्दो को ठिकाने लगा सकते हैं। कोई भी कार्य करने निकलोगे तो निंदा जरूर होगी पर सोच लो कि जिंदा की ही निंदा होती है। गुरूवार को सायं कैबिनेट मंत्री अनिल विज भी मुनिश्री से आशीर्वाद लेने पहुंचे और मुनिश्री द्वारा बताई गयी बातों को ध्यान से सुना भी। इसके बाद मुनिश्री की आरती उतारी गई।

प्रश्नकाल में महाराज ने सवाल किया कि ऐसा कौन सा काम है जिसे करते करते इंसान कभी नहीं थकता। श्रोताओं ने अपने दिमाग पर बहुत जोर डाला। लोगों ने बड़े अच्छे अच्छे जवाब दिए। हाल कई बार हंसी ठहाकों से भी गूंज गया। परंतु अंत में महाराज ने बताया कि इंसान सांस लेते लेते कभी नहीं थकता। यह जीवन प्रभु की दी हुई अमूल्य धरोहर है। कार्यक्रम में हर दिन भीड़ बढ़ती ही जा रही है।


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