बेंगलूरु में महावीर भगवान जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ त्यागराज नगर में चातुर्मासरत आचार्य महेंद्र सागर सूरी ने व्यक्ति के जीवन को विष वृक्ष बताया क्योंकि व्यक्ति के पूरा जीवन कष्टप्रद रहता है। व्यक्ति उन कठिनाइयों से उबरने एवं सुख-सुविधाओं की चाहत रखते-रखते पूरा जीवन ब्यर्थ में गंवा देता है। जब उम्र ढलने लगती है तो पश्चाताप करता है कि मैंने अपना पूरा जीवन ऐसे ही निकाल दिया। इससे न सुख मिला न शांति मिली और तृष्णा का अंबार लाद लिया। इसलिए भगवान महावीर ने कहा कि अज्ञान ही जीवन में दुख का कारण है। उन्होंने कहा कि अज्ञान कष्टों को जन्म देता है और व्यक्ति पूरा जीवन इसी मोह-माया में फंसा रहता है। जीवन में व्यक्ति इसी जंजाल में फंसा रहता है। भीगी लकड़ियों में आग नहीं लग पाती ठीक उसी प्रकार ज्ञान से भीगे मनुष्य को मानसिक वेदना परेशान नहीं कर सकती। ज्ञानवान व्यक्ति कभी भी विचलित नहीं होता। ज्ञान संसार की यथार्थ स्थिति जानने के कारण जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है। सद्ज्ञान की प्राप्ति के लिए प्रयास किया जाना चाहिए। सीढ़ियां देखते रहना ही पर्याप्त नहीं है, मंजिल की प्राप्ति के लिए उन्हें चढ़ना भी जरूरी है।