मिथिलाजी तीर्थ में सहस्राब्दि की ऐतिहासिक प्रतिष्ठा


19वें तीर्थंकर श्री मल्लिनाथजी एवं 21वें तीर्थंकर श्री नमिनाथजी के चार-चार कल्याणकों अर्थात् 8 कल्याणकों की पावन भूमि श्री मिथिलाजी तीर्थ का करीब 150 वर्ष पूर्व काल के प्रतिकूल प्रवाह से विच्छेद हो गया था। इस तीर्थ की पुर्स्थापना हेतु श्री ललित कुमार नाहटा द्वारा करीब 14 वर्षों की (अर्थात् 1993से) अथक एवं व्यापक खोज के उपरांत उपलब्ध प्रामाणिक एवं व्यापक साक्ष्यों के आधार पर सन् 2007 में सीतामढ़ी (बिहार) में श्री मिथिलाजी तीर्थ की पुनर्स्थापना का संकल्प लिया गया। सन् 2000 से श्री अशोक जैन (बैद) भी इस खोज में जुडे़।

इस कल्याणक तीर्थ की पुनर्स्थापना हेतु धरा से ध्वजा तक का अनुपम लाभ श्रेष्ठिवर्य श्री हरखचंद नाहटा परिवार द्वारा लिया गया। इससे पूर्व श्री भद्दिलपुर तीर्थ (श्री शीतलनाथ भगवान के चार कल्याणक) की पुनर्स्थापना प्रतिष्ठा का लाभ भी इसी परिवार ने लिया। दोनों तीर्थों की प्रेरणा प्रसिद्ध पुरातत्वेता तथा साहित्य वाचस्पति श्री भंवरलालजी नाहटा ने दी।  इन तीर्थों के स्पप्नद्रष्टा श्री हरखचन्द नाहटा व भूमि प्रदाता रही श्रीमती रफ़क्खमणिदेवी नाहटा। शिलान्यास उपरांत श्वेत धवल संगमर्मर पाषाण पर उत्कृष्ट कलाकरी एवं कलात्मक नक्काशी से उत्तुंग एवं नयनाभिराम जिनालय के निर्माण की पूर्णता देख आचार्य श्री पप्रसागरसूरीश्वरजी म-सा- के शिष्य आचार्य श्री विनयसागरसूरीश्वर जी म-सा-, आचार्य श्री जिनपीयूषसागरसूरीश्वर जी म-सा-, पू-प्र-श्री विचक्षणश्रीजी की शिष्या पू-साध्वी श्री मणिप्रभाश्रीजी म-सा- की शिष्या पू-साध्वी श्री वैराग्यनिधिश्रीजी म-सा- आदि से प्रतिष्ठा में पधारने का निवेदन किया जो उन्होंने सहजता से स्वीकार कर लिया। वीरायतन से पूज्य आचार्या श्री चंदनाजी ने अपने दो शिष्याओं को इस समारोह हेतु भेजा।

18 जनवरी, 2020 को परमात्मा प्रतिमाजी का मूल गंभारा प्रवेश हुआ। 23 जनवरी, 2020 को विधि विधान से कुंभ स्थापना हुई। 28 जनवरी, 2020 से प्रारम्भ पंचान्हिका महोत्सव 1 फरवरी, 2020 को प्रतिष्ठा के साथ धूमधाम एवं आनन्द उत्सव के साथ संपन्न हुआ।

30 जनवरी, 2020 को आयोजित धर्मसभा में सीतामढ़ी से सांसद श्री सुनील कुमारजी ‘पिन्टू’, माता सीता की प्रगटस्थली पुनौराधाम के महंत श्री कौशल किशोर जी, डॉ शंकर खेतान, श्री ओमप्रकाजी, श्री राधेश्यामजी शर्मा, डॉ बाजोरिया, श्री मोतीजी आदि विभिन्न गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। न्यासी श्री किशोर कुमार कोचर ने न्यास की गतिविधियों एवं योजनाओं का संक्षिप्त उल्लेख किया। श्री ललित कुमार नाहटा ने तीर्थ की खोज की पृष्ठभूमि से लेकर प्रतिष्ठा महोत्सव आयोजन तक का पूरा वृतांत बताया। उन्होंने कहा कि सीतामढ़ी माता सीता की प्रगटस्थली है एवं माता सीता जैन धर्म की सोलह सतियों में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। पूज्य साधु श्री सम्यक्रत्नसागरजी म-सा- ने इस विच्छेदित कल्याणक तीर्थ की पुनर्स्थापना हेतु भगीरथ प्रयास करने के लिये श्री ललित कुमार नाहटा एवं जैन श्वेताम्बर कल्याणक तीर्थ न्यास की सराहना की। पूज्य साध्वी श्री वैराग्यनिधिश्रीजी ने जैन सिद्धान्त तथा आचार पद्धति का सुगमतापूर्वक उल्लेख किया। उन्होंने सभी उपस्थित श्रद्धालुओं को धर्ममय आचरण, दया, करफ़णा एवं परस्पर सहयोगपूर्ण व्यवहार करने के लिये प्रेरित किया।

31 जनवरी, 2020 को जैन मन्दिर प्रांगण से एक भव्य वरघोड़ा (रथयात्र) निकाला गया, जो  बडे़ हर्षोल्लास के साथ भक्ति गीत गाते हुए शहर के विभिÂ मुख्य मार्गों से गुजरते हुये पुनः तीर्थ परिसर में पहुँचा। वरघोड़ा में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग,के सदस्य श्री सुनील जी सिंघी सम्मिलित हुये।

प्रतिष्ठा दिवस की पूर्व संध्या पर एक विशाल धर्मसभा में परम् पूज्य आचार्य भगवंत, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य श्री सुनीलजी सिंघी सहित विभिÂ गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित हुये। नाहटा परिवार के सदस्यों का बहुमान  पावापुरी, राजगिरी, बड़ा मन्दिर, कोलकाता, इंदौर, मालवा, जयपुर, पटना, उज्जैन आदि विभिन्न संघों के वरिष्ठ पदाधिकारी ने किया। आचार्य भगवंत ने अपने ओजस्वी प्रवचन में धर्म एवं धर्म के मर्म को समझाते हुए लोगों से सत्य, न्याय, धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। तत्पश्चात् मुंबई से पधारे सुविख्यात कलाकार श्री अशोक जी गेमावत ने भक्ति गीत की सरिता बहायी। मध्य रात्रि में विशिष्ट मंत्रें तथा विशिष्ट विधि विधान से विभिन्न स्थानों से आयी हुयी परमात्मा की प्रतिमाओं की अंजनशलाका आचार्य भगवंतं के सुहस्ते संपÂ हुई।

01-02-2020 को प्रतिष्ठा दिवस पर शुभ मुहूर्त की विशिष्ट घड़ी में विशिष्ट मंत्रेचारण के द्वारा आनन्द उत्सव भावोल्लास के साथ ‘पुण्याहं पुण्याहं प्रियंताम प्रियंताम’ के मंगलकारी उच्चारणों से आचार्य भगवंत के सुहस्ते प्रभु प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा का मंगल कार्य संपÂ हुआ।

इसके उपरांत तीर्थ स्वप्नद्रष्टा श्री हरखचंद जी नाहटा की प्रतिमा का बिहार के कला एवं संस्कृति मंत्री श्री प्रमोद कुमार जी ने श्री सुनील जी सिंघी, सदस्य राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, भारत सरकार की उपस्थिति में अनावरण किया। इस अवसर पर माननीय मंत्री श्री प्रमोद कुमारजी ने सीतामढ़ी में इस जैन तीर्थ की स्थापना पर हर्ष व्यक्त किया।

तत्पश्चात् धर्मसभा हुयी जिसमें इस ऐतिहासिक प्रतिष्ठा प्रसंग पर डाक विभाग द्वारा विशेष आवरण व विरूपण का लोकार्पण किया गया। श्री प्रदीप कोठारी (पटना), बिहार उपमण्डल पोस्टमास्टर जनरल श्री अशोक कुमार सिंह एवं श्री सुनील सिंघी जी द्वारा श्री मिथिला जैन तीर्थ पुनर्स्थापना प्रतिष्ठा महोत्सव पर अपने उद्गार व्यक्त किये। उपरोक्त विशिष्ट आतिथियों के साथ श्री सुखराज जी सेठिया ‘जीतो’ डायरेक्टर एवं श्री राजेश जैन (पारस चैनेल) ने श्री ललित कुमार नाहटा द्वारा लिखित पुस्तक ‘विच्छेदित तीर्थों का इतिहास भाग-2’ का लोकार्पण किया। इसके उपरांत जैन श्वेताम्बर कल्याणक तीर्थ न्यास द्वारा आगंतुक महानुभावों का तिलक, माला एवं स्मृति चिह्न प्रदान कर बहुमान किया गया। तत्पश्चात् पूज्य आचार्य भगवंत ने अपने उद्बोधन में धर्म के महत्व का उल्लेख किया। छोटी से छोटी बातों में यदि हम सत्य, अहिंसा के मार्ग पर चलकर दया, करफ़णा के साथ जीवन बिताना प्रारंभ करें ताे यह जीवन आनन्दमय हो जायेगा।  श्री अशोक जी गेमावत द्वारा भक्ति संगीत का अनूठा वातावरण प्रस्तुत किया गया। देश-विदेश के विभिन्न क्षेत्रें से पधारे वरिष्ठ व्यक्तियों द्वारा तीर्थ स्थापनकर्ता नाहटा परिवार का बहुमान भी किया गया। बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री एवं एम-एल-सी- श्री रामचन्द्र पूर्वे सपत्नीक तीर्थ परिसर में पधारे।

2 फरवरी, 2020 के सूर्योदय की प्रथम किरण के साथ ही जैन मन्दिर का द्वार उद्घाटन पूज्या साध्वी श्री वैराग्यनिधिश्रीजी म-सा- की निश्रा में तीर्थ स्थापनकर्ता श्रीमती रफ़क्खमणि देवी नाहटा द्वारा किया गया।

दिल्ली, कोलकाता, पटना, ईरोड, मद्रास, रायपुर, इंदौर, अहमदाबाद, मुंबई, जयपुर, सूरत, उज्जैन, हाथरस, आगरा, सिल्चर, रांची, बीकानेर, बालाघाट, रिंगनोद, काठमाण्डू, जनकपुर, फॉरबिसगंज, न्यूयॉर्क आदि देश-विदेश के विभिन्न स्थानों से पधारे 450 से अधिक श्रद्धालु जनों ने प्रतिष्इा महोत्सव के सभी धार्मिक अनुष्ठानों में उत्साहपूर्वक सहभागिता की।

 

— ललित कुमार नाहटा


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