भारत ही नहीं, अपितु सारे विश्व को जैनों को ही नहीं, अपितु जन-जन को कड़वे प्रवचनों के माध्यम से एक नई सोच,नया चिंतन सौंपने वाले क्रांतिकारी संत मुनिश्री तरुण सागर जी मुनिराज का दिल्ली में आज प्रातः 3.15 बजे समता पूर्वक समाधिमरण (देवलोक गमन) हो गया। पिछले अनेक दिनों से वे अस्वस्थ चल रहे थे। जैसे ही मुनिश्री तरुणसागर जी के देवलोक गमन की सूचना लोगों को मिली लाखों की संख्या जैन और जैनेतर श्रद्धालुओं का भारी सैलाव उनके अंतिम दर्शनों के लिए दिल्ली में उमड़ पड़ा। जैन मुनि के असामयिक निधन पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वे अनेक राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने उन्हें भाव-भीनी श्रद्धांजलि देते हुए अपूरणीय क्षति बताया।
क्रांतिकारी संत मुनि श्री तरुण सागर जी महाराज के समाधिमरण(देवलोकगमन) होने पर प्रभावना जन कल्याण परिषद (रजि.) के तत्वावधान में एक विनयांजलि-श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया, जिसमें अनेक संस्थाओं के वक्ताओं ने मुनि श्री तरुणसागर जी विराट, बेमिसाल, अद्भुत व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला।
परिषद के मानद निदेशक डॉ. सुनील संचय ने कहा कि आज एक महान तपस्वी की यात्रा का समापन हुआ है। एक ऐसा तपस्वी जिसने अपने कड़वे वचनों से आम आदमी के जीवन में मिठास घोलने का अथक प्रयास किया।
उनका नाम लिम्का बुक रिकॉर्ड ही नहीं बल्कि गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। दिल्ली के लाल किले से मांस निर्यात के विरोध में अहिंसा महाकुंभ का आयोजन कर उन्होंने जो शंखनाद किया, वह आज भी लोगों के दिलों में है। वह अपने वेबाक विचारों के लिए जाने जाते थे। उनके आयोजनों का प्रसारण 100 से अधिक देशों में होता था। देश-विदेश में उनके करोड़ों अनुयायी थे। इतनी कम आयु में कालजयी विराट व्यक्तित्व का जाना स्तब्धकारी है।
प्राचार्य विनीत जैन साढूमल ने कहा कि उन्होंने काल के कपाल पर एक अमिट इतिहास की रचना की है। वे न केवल जैन समुदाय के बल्कि पूरी भारतीय संस्कृति के अनमोल रत्न थे। उनके जाने से खामोश हो गए हैं कड़वे प्रवचन। उनके इतनी जल्दी जाने से भारतीय संस्कृति की एक बहुत बड़ी छति हुई है।
केंद्रीय विद्यालय के शिक्षक सुरेन्द्र जैन ने कहा कि इन्हें 6 फरवरी 2002 को म.प्र. शासन द्वारा’ राजकीय अतिथि ‘ का दर्जा मिला था।
2 मार्च 2003 को गुजरात सरकार ने उन्हें ‘राजकीय अतिथि’ के सम्मान से नवाजा। नरेंद्र मोदी जी सहित अनेक दिग्गज राजनेता भी उनके भक्त थे। ‘तरुण सागर’ ने ‘कड़वे प्रवचन’ के नाम से एक बुक सीरीज स्टार्ट की , जिसके लिए वो काफी चर्चित हैं।
अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत परिषद के मुकेश जैन शास्त्री ने कहा कि वो केवल जैन समुदाय के संत नहीं थे। उनके लाखों की संख्या में जैनेतर समुदाय के भक्त थे, उनके इतनी जल्दी चले जाने से उनके करोड़ों अनुयायी स्तब्ध हैं। उन्होंने दिगम्बरत्व को जन-जन तक पहुँचाया।
करुणा इंटरनेशल के पुष्पेंद्र जैन ने कहा जाते-जाते भी वह रच गए इतिहास।बुंदेलखंड के दमोह जिले में जन्में मुनिश्री ने मात्र 13 वर्ष की उम्र में सन्यास और 20 वर्ष की उम्र में मुनि दीक्षा ग्रहण कर 33 वर्ष की उम्र में जिन्होंने दिल्ली के लाल किले से राष्ट्र को संबोधित कर जैन समाज और जैन संतों को दी विश्व स्तर पर एक नई पहचान दी। उनके गृहस्थ जीवन का नाम पवन जैन था।
अखिल भारतवर्षीय शास्त्रि परिषद के सदस्य राजेश शास्त्री ने कहा कि मुनिश्री के जाने से संत समुदाय में जो रिक्तता हो गयी है, उसकी पूर्ति संभव नहीं है। उनके क्रांतिकारी प्रवचनों को सुनकर लाखों लोग शाकाहारी बने, लाखों लोगों ने शराब, व्यसनों को त्यागकर जीवन की नई दिशा प्राप्त की।
अखिल भारतीय जैन पत्र संपादक संघ के कार्यकारिणी सदस्य मनीष शास्त्री ने कहा कि तेज आवाज में प्रवचन करने वाले क्रांतिकारी राष्ट्र संघ मुनि श्री तरुण सागर महाराज हमारे बीच नहीं रहे। जानी पहचानी तेज आवाज अब हमेशा के लिए खामोश हो गई। मुनिश्री अपने प्रवचनों के आकाश पर अजर अमर रहेंगे। उन्होंने मध्यप्रदेश और हरियाणा की विधानसभाओं में अपने प्रवचन देकर एक नया इतिहास लिखा था।
प्रभावना जन कल्याण परिषद के महामंत्री डॉ निर्मल जैन ने कहा कि हम विश्वास नहीं कर पा रहे हैं कि लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओं के दिलों पर राज करने वाले आस्था के पुंज मुनि श्री तरुणसागर हमारे बीच नहीं हैं।
सोमचन्द्र शास्त्री ने कहा कि मुखर वाणी हुई मौन। ऐसे संत शताब्दियों, सहस्त्रों वर्षोँ में होते हैं। उनके द्वारा भारतीय संस्कृति को दिया गया अवदान हमेशा अविस्मरणीय रहेगा।उनके चरणों में कोटिशः नमन-श्रद्धा सुमन!!!
सचिन शास्त्री और उमेश शास्त्री ने कहा कि हम हमेशा उनके आदर्शो, करुणा और समाज के प्रति उनके योगदान को लेकर याद करेंगे। देह से भले ही हमारे बीच न रहे हों परन्तु उनके महान कार्य हमेशा उन्हें जीवंत बनाये रखेंगे।
पंडित संतोष शास्त्री और शीलचंद्र जैन ने कहा कि पूरी चेतना के साथ समाधिमरण किया किया, यह भी एक उपलब्धि है। उन्होंने जीवन के अंतिम पलों में अन्य जल, समस्त परिग्रह का त्याग दिया। सभी के प्रति उत्तम क्षमा का भाव रखा।संत समूह के मध्य सल्लेखना समाधि प्राप्त की।
सभा के अंत में सभी ने मौनपूर्वक णमोकार मंत्र पढ़ कर उन्हें अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
उधर क्रांतिकारी जैन संत के समाधि पूर्वक देह त्यागने की खबर सुनकर ललितपुर के जैन मंदिरों में णमोकार मंत्र का पाठ किया गया, प्रातः बेला में शांतिधारा में उनका नाम उच्चारण किया गया। सभी उनके जाने की खबर पाकर हतप्रद हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जैन मुनि के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि जैन मुनि तरुण सागर के निधन का समाचार सुन गहरा दुख पहुंचा। हम उन्हें हमेशा उनके प्रवचनों और समाज के प्रति उनके योगदान के लिए याद करेंगे। मेरी संवेदनाएं जैन समुदाय और उनके अनगिनत शिष्यों के साथ हैं। पीएम मोदी जी ने तरुण सागर जी के मीडिया प्रभारी से वार्ता कर दुख प्रकट किया और कहा कि वे संघर्षशील थे, उनका मेरे प्रति विशेष लगाव था। वे बहुत कम आयु में चले गए।
–डॉ. सुनील जैन संचय