जैसे लता आश्रय लेकर अपना विकास करती है वैसे स्वयं के विकास के लिये धर्म अवलंबन जरूरी: मुनिश्री प्रमाण सागर जी


भोपाल। मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज ने  कहा कोई लता आश्रय लेकर धीरे धीरे विकास करती हुई अपने आपको मजबूत करती है। उसी तरह जीवन रूपी लता के विकास के लिए धर्म का अवलंबन जरूरी है। उन्होंने कहा धर्म के अवलंबन से जीवन पथ को देव शास्त्र गुरु के प्रति समर्पित कर कल्याण कर सकते है।

अयोध्या नगर में धर्म सभा को सबोधित करते हुए मुनि श्री ने कहा आचरण के लिये चार बाते आवश्यक हैl साम्रगी,सक्त, संयोग ओर श्रद्धा। दुनिया में सबसे बड़ा पुण्यशाली वह है जिसके पास यह चारो साधन है। तीन तुम्हारे पास में नही है पर श्रद्धा तो तुम्हारे हाथ में है। मुनि श्री ने कहा श्रद्धा को इतना प्रगाढ़ बनाओ कि तुम्हारी श्रद्धा भक्ति के आगे सब कुछ बोना नज़र आए।

 

     — अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमण्डी


Comments

comments

अपने क्षेत्र में हो रही जैन धर्म की विभिन्न गतिविधियों सहित जैन धर्म के किसी भी कार्यक्रम, महोत्सव आदि का विस्तृत समाचार/सूचना हमें भेज सकते हैं ताकि आप द्वारा भेजी सूचना दुनिया भर में फैले जैन समुदाय के लोगों तक पहुंच सके। इसके अलावा जैन धर्म से संबंधित कोई लेख/कहानी/ कोई अदभुत जानकारी या जैन मंदिरों का विवरण एवं फोटो, किसी भी धार्मिक कार्यक्रम की video ( पूजा,सामूहिक आरती,पंचकल्याणक,मंदिर प्रतिष्ठा, गुरु वंदना,गुरु भक्ति,गुरु प्रवचन ) बना कर भी हमें भेज सकते हैं। आप द्वारा भेजी कोई भी अह्म जानकारी को हम आपके नाम सहित www.jain24.com पर प्रकाशित करेंगे।
Email – jain24online@gmail.com,
Whatsapp – 07042084535