लुधियाना। एसएस जैन स्थानक जनता नगर में विराजित श्री जितेंद्र मुनि म .के सानिध्य में मधुर वक्ता श्री रचित मुनि ने कहा कि एक बार स्वामी विवेकानंद अमेरिका में भाषण दे रहे थे। उनके प्रखर उद्बोधन से वहां की जनता बहुत प्रभावित हुई। स्वामी जीविवेकानंद के आकर्षक व्यक्तित्व से प्रभावित होकर एक तरुण युवती जोकि रूपवती सुडौल शरीर वाली दिखने में आकर्षक और धनाढ्य थी । उनके पास आकर बोली। मैं आपसे एकांत में चर्चा करना चाहती हूं। विवेकानंद भीड़ से थोड़े एक तरफ होकर युवती से बोले। बोलो क्या कहना चाहती हो? युवती ने पहले तो उनके भाषण की बहुत प्रशंसा की। फिर उनके साथ स्वयं के विवाह का प्रस्ताव रख दिया। विवेकानंद पूछा तु म मुझसे विवाह क्यों करना चाहती हो? युवती बोली मैं अपनी कोख से आप जैसे तेजस्वी पुत्र को जन्म देना चाहती हूं। उस युवती का इतना कहना था कि विवेकानंद बोल पड़े। मुझे ही अपना पुत्र मान लो माता । युवती ये सुनते ही अवाक रह गई। उसकी आंखों से प्रायश्चित के आंसुओं की धारा बहने लगी।
धन्य है भारत के लाल और धन्य है भारतीय संस्कृति। क्या आप मां-बाप हैं? अगर आप मां-बाप हैं। तो बच्चों के लिए थोड़ा समय जरूर निकालें और उनके साथ बैठकर वार्तालाप करिए। आत्मीयता पैदा कीजिए। बच्चों से दूरियां नहीं होनी चाहिए। आप की सबसे बड़ी संपत्ति तो यही है। पैसा कमाने में इतना व्यस्त मत हो जाइए। कि बच्चे हाथ से निकल जाए। बच्चे बिगड़ गए। तो फिर पैसे कमा कर भी क्या करेंगे। बच्चों को बुरी संगत से बचाइए। वरना अपना बड़ा बुरा हाल हो जाएगा। किसी एक निश्चित समय पर घर में सभी मिलकर बैठकर मंगल पाठ, मंगल प्रार्थना जरूर कीजिएगा।