नौकर बनने की मानसिकता खत्म करनी चाहिए, नौकरी देने वाले बनो, अवसर बहुत हैं : मुनि प्रमाण सागर जी


सीहोर: प्रमाण सागरजी  महाराज आष्टा से मंगल विहार करते हुए सीहोर आए। उन्होंने बड़ा बाजार में आयोजित शंका समाधान कार्यक्रम के दौरान भक्तों की शंकाओं का समाधान करते हुए कहा कि हमें किसी से अपेक्षा नहीं करना चाहिए। अपेक्षा दुख का कारण होती है। दूसरे देश और विदेश में नौकरी वाले सवाल पर मुनिश्री ने कहा कि हमें देश में नौकरी करने वाली मानसिकता को बदलना चाहिए। हम लोगों को नौकरी देने वाले बनें, इसके लिए प्रयास करना चाहिए और नए प्रयोग करने से ही हम ऐसा कर सकते हैं। मुनिश्री सीहोर में 20 साल बाद आए । जैन समाज ने उनकी अगवानी चौपाल सागर पर सुबह करीब 8.15 बजे की। इसके बाद इंदौर नाके से शोभा यात्रा निकाली गई। मुनिश्री  बुधवार को भी सुबह 8 बजे से बड़ा बाजार में धर्मसभा के दौरान प्रवचन देंगे। इस मौके पर सकल जैन समाज संगठनों ने भक्तों से बड़ी संख्या में शामिल होने की अपील की है।

धर्मसभा कर शोभायात्रा का किया समापन

मुनिश्री प्रमाण सागर महाराज, मुनिश्री अरह सागर जी महाराज  ससंघ ने सीहोर में प्रवेश किया। इस बीच नगर में करीब 6 किमी लंबी शोभायात्रा निकाली गई। इस मौके पर पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जसपालसिंह अरोरा, पूर्व नपाध्यक्ष अमीता अरोरा, विधायक सुदेश राय, भाजपा जिला प्रवक्ता राजकुमार गुप्ता आदि ने शोभा यात्रा के दौरान मुनिश्री के पद प्रक्षालन किए। इसके बाद मुनि श्री ने  आशीर्वचन दिये।

भक्तों की शंकाओं का समाधान मुनिश्री प्रमाण सागर महाराज द्वारा

शंका: किसी से आशा करना सही है, यदि वह उसे पूरी न करे तो ऐसे में क्या करना चाहिए

समाधान: करते मुनि श्री ने कहा किसी से अपेक्षा करना सबसे बड़ा दुख का कारण होता है। यदि वह मदद नहीं करे तो हमें उसकी उपेक्षा नहीं करना चाहिए।

शंका: हम मंदिर का निर्माण करते हैं, लेकिन जो कुछ नहीं करते वे लोग बदनाम करते हैं

समाधान: जिस तरह से बाइक चलाते समय हम धुएं की तरफ ध्यान नहीं देते हैं, वैसे ही ऐसे लोगों को अनदेखा करना चाहिए।

शंका: नौकरी, यश, प्रतिष्ठा समाज में बने रहने के लिए महत्वपूर्ण है, क्या करना चाहिए

समाधान: सबसे महत्वपूर्ण है जीवन, उसके बगैर, नौकरी, यश प्रतिष्ठा सब कुछ बेकार है।

शंका: देश में सरकारी नौकरी मुश्किल है, विदेश में जाने पर अर्थ को लेकर असमंजस है

समाधान: जॉब करने की मानसिकता से मुक्त होना चाहिए। देश में जॉब (नौकरी) की मानसिकता बनी हुई है। हम इसलिए हमारे बच्चों को पढ़ा रहे हैं। उन्हें नया करने, सीखने का अवसर नहीं देते हैं। हमारे देश में नौकरी के अच्छे अवसर है, लेकिन हमें ऐसे कार्य करने चाहिए, जिससे लोगों को काम मिल सकें। हम नौकरी दे सकते, नौकरी मांगने वाले नहीं बने।

 

— अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी


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