Home Jain News उत्तम आर्जव कपट मिटावे, दुर्गति त्यागि सुगति उपजावें

उत्तम आर्जव कपट मिटावे, दुर्गति त्यागि सुगति उपजावें

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उत्तम आर्जव कपट मिटावे, दुर्गति त्यागि सुगति उपजावें

श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर कोट ऊपर कामां पर पर्यूषण महापर्व के तीसरे दिन आज दसलक्षण महामण्डल विधान के सौधर्म इन्द्र बनने का सौभाग्य दुलीचंद शीतल कुमार जैन को मिला और मंगलाचरण डी के जैन मित्तल ने किया। आचार्य विनीत सागर महाराज ने आज उत्तम आर्जव धर्म पर अपने प्रवचनों के माध्यम से बताया कि इस धर्म को अंगीकार करने से मन सरल और रागादि से मुक्त हो जाता है।

सकल जैन समाज कामां के प्रवक्ता डी के जैन मित्तल ने बताया कि पर्यूषण पर्व पर कामां के चारों मंदिरों में दिगम्बर जैन अनुयायियों द्वारा विशेष पूजा-अर्चना की जा रही है। और यथा शक्ति व्रत एकासन आदि रखते हैं। जैन धर्म में ये दस दिन सबसे बडे त्यौहार होते हैं जिनमें तप और साधना की जाती है। कामां जैन समाज वर्किंग कमेटी द्वारा आयोजित इस विधान में जैन समाज अध्यक्ष महावीर प्रसाद जैन लहसरिया, कोषाध्यक्ष काली जैन, मंत्री कैलाश जैन, राजेंद्र जैन, गौरव निक्की जैन, मोहित जैन सहित समाज के लोग मौजूद थे।


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