Home Jain News CA सिद्धि जैन ने जीवदया हेतु अपनी पहली सैलरी 80हजार रुपये बकरशाला मारोठ को देने की घोषणा की

CA सिद्धि जैन ने जीवदया हेतु अपनी पहली सैलरी 80हजार रुपये बकरशाला मारोठ को देने की घोषणा की

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CA सिद्धि जैन ने जीवदया हेतु अपनी पहली सैलरी 80हजार रुपये बकरशाला मारोठ को देने की घोषणा की

मारोठ/दिल्ली- दिगंबर जैन मंदिर ग्रीन पार्क दिल्ली में रविवार को गुरु मां आर्यिका 105 श्री विज्ञान मति माताजी का 36 वा दीक्षा दिवस बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया । नरेन्द्र जैन नीरू  कुकनवाली ने बताया कि चतुर्थ काल चर्या धारी आर्यिका 105 श्री विज्ञान मति माताजी का 36 वा दीक्षा दिवस पारसनाथ मंडल विधान पूजन करके हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस मौके पर गुरु मां विज्ञान मति माताजी की शिष्या आर्यिका 105 श्री आदित्य मति माताजी ने प्रवचन देते समय कहां की गुरु मां विज्ञान मति माताजी की दीक्षा राजस्थान के कुकनवाली में आज से 36 वर्ष पूर्व हुई और पहला चतुर्मास राजस्थान के नागौर जिले के मारोठ कस्बे में हुआ और मारोठ कस्बा अपने आप में एक मिसाल कायम किये हुए हैं जहां भगवान महावीर के संदेश को ध्यान में रखते हुए जैन समाज द्वारा जीव दया पालक समिती ट्रस्ट बकरशाला 1922 से चलाई जा रही है।

जीव हत्या को रोकने के लिए बकरों को पाला जाता है इस संस्था का उद्देश्य जीव रक्षा करना है। मैं आप लोगों से कहूंगी कि अगर आप किसी जीव को बचाने के लिए कुछ कर सकते हैं तो इस संस्था को सहयोग जरूर करें गुरु माँ ने राजस्थान से आए हुए हितेश रारा, नरेंद्र जैन नीरू, नवीन जैन को विशेष आशीर्वाद देकर कहा कि पास ही में ऋषभ विहार कॉलोनी में गुरुवर मुनि श्री 108 विशाल सागर जी महाराज, मुनि श्री 108 वीर सागर जी महाराज, मुनि श्री 108 धवल सागर जी महाराज से आशीर्वाद लेकर इस संस्था के बारे में बात करने के लिए कहां और जब गुरुवर से इस संस्था के बारे में चर्चा की गई तो गुरुवर ने आशीर्वाद दिया।

दिल्ली में विराजित मुनि श्री 108 वीर सागर  जी महाराज, मुनि श्री 108 विशाल सागर जी महाराज, मुनि श्री 108 धवल सागर जी महाराज के आशीर्वाद से रविवार को विज्ञान मति माताजी के दीक्षा दिवस पर दिल्ली करोलबाग के CA संजय जैन की पुत्री CA  सिद्धि जैन ने अपने पहले महीने की तन्ख्वाह  80000/-अस्सी हजार रुपये श्री जीव दया पालक समिति ट्रस्ट मारोठ बकरशाला को भेंट करने की धोषणा की।

आर्यिका माँ विज्ञानमती माताजी सदेव कहती हें कि घर से बड़ाँ गुरुकुल और वक़्त से बड़ा गुरू कोई नही हो सकता। सिद्धि जैन के इस भाव से ये यह निश्चित होता हें की इसको अपने घर परिवारजन द्वारा कितनी अच्छी शिक्षा मिली हें।

 

— रोहित कुमार छाबड़ा


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