Home Jain News मंदिर के कार्यभार को भार न समझें आभार समझें – Acharya Vidyasagar Maharaj

मंदिर के कार्यभार को भार न समझें आभार समझें – Acharya Vidyasagar Maharaj

0
मंदिर के कार्यभार को भार न समझें आभार समझें – Acharya Vidyasagar Maharaj

चंद्रगिरि डोंगरगढ़ में विराजमान संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने  दोपहर के प्रवचन में कहा की चंद्रगिरी में दो दिवसीय कार्यक्रम में प्रतिभास्थली छात्रावास का शिलान्यास, सहस्त्रकूट जिनालय का शिलान्यास एवं मूलनायक चंद्रप्रभ भगवान के मंदिर के गर्भगृह की चाबी रखने का कार्य सानंद संपन्न हुआ | आचार्य श्री ने कहा की चंद्रगिरी के मंदिर का निर्माण कार्य प्रगति पर है और डोम का निर्माण भी काफी मेहनत और विवेकपूर्ण तरीके से किया गया है|

हमने पहले चंद्रगिरी में चातुर्मास किया फिर यहाँ से विहार कर जगदलपुर गए थे जहाँ बुंदेलखंड के काफी लोग मिले पहले यह मध्य प्रदेश का ही एक हिस्सा था परन्तु विभाजन उपरांत आज छत्तीसगढ़ में है यह क्षेत्र हरियाली और खनिजों से संपन्न है यहाँ के लोग खेती का कार्य ज्यादा करते हैं और काफी घने जंगल होने के कारण लोग दिन में भी जाने से वहाँ डरते हैं वहाँ आने और जाने का रास्ता भी एक ही है फिर भी वहाँ  के लोगों की भक्ति प्रसंसनीय है | रामटेक से हम डोंगरगांव पंच कल्याणक महोत्सव के लिए आये थे तो दुसरे दिन ही जगदलपुर की कमेटी के द्वारा वही सारी की सारी चर्चा कर पंच कल्याणक की घोषणा हो गयी और संघ के पांच मुनिराजों के द्वारा वहाँ का पंच कल्याणक भी सानंद संपन्न हो गया |

यह क्षेत्र एक तरफ उड़ीसा, एक तरफ मध्य प्रदेश और कुछ दूरी पर आन्ध्र प्रदेश लगा हुआ है जिससे आस पास के लोगों ने भी वहाँ इस महोत्सव से धर्म लाभ लिया | हमारा चंद्रगिरी आने का प्रोग्राम नहीं था लेकिन आ गए और योग से बहुत से कार्यों की शुरुवात हो गयी | यहाँ की कमेटी के प्रबंधकों ने जो बीड़ा अपने कन्धों पर उठाया है उसे वे भार न समझें आभार समझें और सहर्ष स्वीकारें यह अवसर हर किसी को नहीं मिलता इसके लिए तन, मन और धन से आपको सहयोग करना होगा तब जाकर यह कार्य पूर्ण होगा |

कार्य की शुरुवात तो अच्छी हो गयी है अब इसे पूर्ण कराना आपका कर्त्तव्य है इसलिए यहाँ के कार्य को दो भागों में विभाजित किया गया है जिससे दोनों कार्यों की गति में प्रभाव न पड़े | आप लोग सब एक सांथ ही हो, सभी कार्य एक दुसरे के सहयोग से ही संभव हो पाता है | हमने कई रंगों के फूल देखे हैं लाल, नीला, सफ़ेद लेकिन आज चंद्रगिरी में हल्दी सम पीले रंग का फूल पहली बार देखा है वो भी बिजोलिये पाषाण का जो की अपने आप में एक अद्भुत कलाकृति है जिसे आने वाले समय में आप लोग देखेंगे तो आपको बहुत अच्छा लगेगा और यह अँधेरे में भी चमकेगा जिससे इसकी सुन्दरता और बढ़ जायेगी |

चंद्रगिरी की कमेटी के प्रबंधकों ने तन, मन और धन से मेहनत कर इस कार्य को यहाँ तक लाया है जो प्रशंसनीय है |
बाहर से आये संदीप जैन, पंकज जैन, विनोद जैन, राजा भईया सूरत वाले, गुरु कृपा परिवार रायपुर, जगदलपुर कमेटी  आदि का चंद्रगिरी ट्रस्ट के पदाधिकारियों द्वारा उन्हें तिलक लगाकर एवं श्रीफल, शील्ड आदि भेंट कर उनका अभिनन्दन किया | आज आचार्य श्री को आहार कराने का सौभाग्य ब्रह्मचारी अंकित भईया परिवार को मिला जिसके लिए चंद्रगिरि ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री सुरेश जैन, कार्यकारी अध्यक्ष श्री किशोर  जैन,  डोंगरगढ़ जैन समाज के अध्यक्ष एवं चंद्रगिरि ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष श्री सुभाष चन्द जैन, महामंत्री श्री निर्मल जैन, प्रतिभास्थली के संयुक्त मंत्री  एवं चंद्रगिरि ट्रस्ट के ट्रस्टि श्री सप्रेम जैन, श्री अमित जैन, श्री चंद्रकांत जैन, श्री विनोद बडजात्या, श्री राजकुमार जैन, श्री सुधीर जैन, श्री नितिन जैन, श्री प्रशांत जैन, श्री पप्पू जैन, श्रीमती सरला जैन, श्री निखिल जैन, श्री सारांश जैन एवं सकल जैन समाज डोंगरगढ़ ने उनको धन्यवाद् दिया।

  • निशांत जैन (निशु)

Comments

comments