राजस्थान के बाडमेर नगर के छोटे से कस्बे जसोल के एक मकान के बाहर दूर-दूर से आये लोगों की लम्बी कतारें लगी हैं, जोर-जोर से णमोकार मंत्र का जाप चल रहा है। दरअसल यहां के एक दम्पत्ति ने एक साथ संसार त्यागने का निर्णय लिया है। समाज के लोग उक्त दम्पत्ति के स्वेच्छा से मृत्यु का वरण करने के निर्णय को संथारा से जोड़कर देख रहे हैं। बता दें कि 83 वर्ष के पुखराज संकलेचा और उनकी धर्मपत्नी 81 वर्षीय गुलाबी देवी ने जीवन भर एक-दूसरे का साथ निभाने के बाद, अब एक साथ अंतिम यात्रा पर निकलने की ठानी है।
उक्त दम्पत्ति के दर्शन करने लोग काफी दूर से यहां पहुंच रहे हैं और लोगों के आने का सिलसिला लगातार जारी है। सुबह से रात्रि तक णमोकार मंत्र का जाप एवं भजन/कीर्तन की आवाज गूंज रही है। उक्त दम्पत्ति के परिवारीजनों को पता है कि घर के दो वरिष्ठ सदस्य संसार छोड़ने वाले हैं किंतु परिवार में शोक के बजाय आध्यात्मिकता के साथ उत्सव का वातावरण है। उनका मानना है कि संथारापूर्ण देह त्याग करने पर उत्तम की प्राप्ति होती है।
जानकारी के अनुसार गुलाबी देवी ने 10 वर्ष पूर्व उनकी थ्योती ने दीक्षा ग्रहण की थी, तभी से उन्होंने निर्णय लिया था कि 10 वर्ष पूर्ण होने पर वह भी दीक्षा ले लेंगी किंतु परिवारीजनों ने उन्हें रोका हुआ था। गत दिसम्बर माह में पुखराज को हार्टअटैक की शिकायत पर उन्हें जोधपुर के एक अस्पताल में वेंटीलेटर पर रखा गया था किंतु वह स्वस्थ होकर घर वापस लौट आए।
घर लौटने पर उनका स्वागत किया गया किंतु उनके मन में जीवन से विरक्ति का भाव घर कर चुका था। इस कारण उन्होंने 27 दिसम्बर से दवा के साथ खाना-पीना भी छोड़ दिया और कहा कि अब मैं संथारा पर हूं। इसके बाद उनकी पत्नी गुलाबी देवी ने भी खाना-पीना छोड़ उनके ही साथ अपने जीवन को त्यागने का पण्रलिया। यह ऐसा पहला अवसर है कि जब एक साथ पति-पत्नी ने संथारा ग्रहण किया हो।
— अरविंद चोटिया