कुण्डलपुर तीर्थ पर जैन आचार्य प्रमुख सागर महाराज ने किया केशलोंच


कुण्डलपुर (नालंदा) : जैन धर्म के अंतिम 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी की जन्मभूमि नालंदा स्थित कुण्डलपुर दिगम्बर जैन प्राचीन तीर्थ क्षेत्र पर पहुंचे जैन संत आचार्य श्री 108 प्रमुख सागर जी महाराज ने सोमवार को केशलोंच की साधना संपन्न की। साथ में एक साध्वी क्षुल्लिका माता जी का भी केशलोंच हुआ। वहीं आज मंगलवार को संघस्थ मुनि श्री प्रभाकर सागर जी महाराज का प्रथम मुनि दीक्षा दिवस गुरुभक्तों द्वारा कुण्डलपुर तीर्थ पर धूमधाम के साथ मनाया जाएगा।

जैन आचार्य प्रमुख सागर जी सहित 8 पिच्छी साधु-साध्वीयों का संघ नेपाल बॉर्डर से पैदल चलकर पटना के रास्ते कुण्डलपुर तीर्थ रविवार के शाम में पहुंचे थे। जैन संतों का संघ बिहार-झारखण्ड के पंचतीर्थ यात्रा पर है जो राजगृह, पावापुरी, गुणावा जी के धर्मयात्रा के बाद झारखण्ड स्थित श्री सम्मेद शिखर जी को पहुंचेंगे। इस तपती और भीषण गर्मी में भी जैन साधुओं का संघ निरंतर नंगे पांव पदयात्रा कर रहे है। बता दें कि जैन संत 24 घण्टे में एक बार आहार-जल ग्रहण करते है।

वहीं सोमवार को दिगम्बर जैन प्राचीन मंदिर में जैन संतों के सानिध्य में प्रातः तीर्थंकर महावीर स्वामी का अभिषेक, शांतिधारा व पूजा-अर्चना भक्तिमय वातावरण में संपन्न हुआ।

भाव-विभोर हो गये श्रावक, तपती गर्मी में भी किया उपवास
केशलोंच के दौरान जैन श्रद्धालुओं ने महामंत्र णमोकार का पाठ और भक्ति भजन किया। इस दृश्य को देखकर मौजूद श्रद्धालुओं की आंखे नम हो गई। जैन आचार्य महाराज जिस तरह अपने सिर और दाढ़ी-मूंछ के केश घास-फूस की तरह उखाड़ फेंकी उस पल को देख भक्त भाव-विभोर हो गए। गुरुभक्त प्रवीण जैन ने बताया कि यह कठिन तपस्या जैन मुनि हर दो से चार माह में करते है। इसके साथ ही केशलोंच के दरम्यान बालों में होने वाले जीवों का कोई घात हुआ या उन्हें कष्ट हुआ तो तो उसके प्रायश्चित के लिए संत आचार्य प्रमुख सागर जी ने उपवास भी रखा। सोमवार को आचार्य श्री ने अन्न-जल तक ग्रहण नही किया।

केशलोंच से बढ़ती है आत्मा की सुंदरता – आचार्य प्रमुख सागर
इस अवसर पर आचार्य प्रमुख सागर महाराज कहते हैं कि जैन संत जब केशलोंच करते है तो उनकी आत्मा की सुंदरता कई गुणा बढ़ जाती है। इससे संयम का पालन भी होता है। हाथों से बालों को उखाड़ना शरीर को कष्ट देना नहीं बल्कि शरीर की उत्कृष्ट साधना शक्ति का परीक्षण है। इससे कर्मों की निर्जरा होती है। केशलोंच हम जैन साधुओं के जीवन का अनिवार्य हिस्सा है।
इस अवसर पर ब्रह्मचारी ऋषभ भैया, संघपति गोल्डी जैन, टोनी जैन, अशोक जैन, श्रेयांश जैन, देवो, अभिषेक जैन के साथ अम्बाला, इटावा, कानपुर, दिल्ली सहित अन्य जगहों से पहुंचे गुरुभक्त शामिल हुए।

— प्रवीण जैन


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