“गाँधी जयंती” पर डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव ने जैनधर्म का प्रतिनिधित्व करते हुए किया “णमोकार महामंत्र” का सस्वर पाठ”


राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी की 154वीं जन्म जयंती पर “गाँधी स्मृति एवं दर्शन समिति” तीस जनवरी मार्ग नई दिल्ली में “सर्वधर्म प्रार्थना” एवं “भक्ति संगीत” का आयोजन किया गया। “अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस” पर अहिंसा का संदेश पूरे विश्व में गूँजा। इस कार्यक्रम में भारत की राष्ट्रपति माननीया द्रौपदी मुर्मू ,उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ एवं सभी विशिष्ट जनों ने बापू की समाधि पर पुष्प अर्पित करके उन्हें नमन किया।

सर्वधर्म प्रार्थना के अंतर्गत जैन, बौद्ध, ईसाई, पारसी, बहाई, यहूदी,मुस्लिम,सिक्ख, हिन्दु सभी धर्म के प्रतिनिधियों ने बापू को नमन करते हुए “विश्व शांति” की भावना से प्रार्थनाएं कीं ‌। “सर्वधर्म प्रार्थना” में “जैन प्रार्थना” के अंतर्गत डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव ने राजा ऋषभदेव के ज्येष्ठ पुत्र चक्रवर्ती सम्राट भरत के नाम से विख्यात भारत भूमि को एवं गांधी जी को नमन किया तथा णमो जिणाणं – जय जिनेन्द्र, “ॐ ह्रीं नमः सबको क्षमा – सबसे क्षमा” कहते हुए विश्व शांति और सभी के कल्याण की भावना से “णमोकार महामंत्र” का सस्वर पाठ किया । गांधी स्मृति दर्शन समिति के अध्यक्ष भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री जी एवं उपाध्यक्ष श्री विजय गोयल जी के मार्गदर्शन में गांधी जयन्ती पर आयोजित गायिका विद्या शाह की संगीतमय भावांजलि,सर्वधर्म प्रार्थना एवं विद्यालय के बच्चों द्वारा भारत को समर्पित मधुर गीत का सीधा प्रसारण दूरदर्शन के विभिन्न चैनल के माध्यम से लाखों लोगों तक पहुँचा।

सर्वधर्म प्रार्थना एवं विद्या शाह के सुमधुर भक्ति संगीत के बाद भारत की राष्ट्रपति माननीया द्रौपदी मुर्मू जी,उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ जी , सांसद मीनाक्षी लेखी जी, गांधी स्मृति दर्शन समिति के उपाध्यक्ष श्री विजय गोयल जी ने सभी धर्म के प्रतिनिधियों का अभिवादन किया। धर्म गुरुओं ने भी सकुशलता की भावना को अभिव्यक्त करते हुए उनका अभिवादन किया। अभिवादन के क्रम में माननीया राष्ट्रपति महोदया जी से डॉ. इन्दु जैन ने णमो जिणाणं-जय जिनेन्द्र-उत्तम क्षमा कहा तो माननीया राष्ट्रपति महोदया ने प्रसन्न मुद्रा में सहज भावों की अभिव्यक्ति दी ।

ज्ञातव्य है कि विगत कई वर्षों से भारत में आयोजित कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों में डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव “जैन धर्म” का प्रतिनिधित्व कर चुकीं हैं। आपने नवीन संसद भवन के ऐतिहासिक शिलान्यास एवं उद्घाटन समारोह में “जैन धर्म” का प्रतिनिधित्व करके पूरे विश्व की जैन समाज का गौरव बढ़ाया था। जिनेन्द्र देव ,गुरुओं और माता-पिता के आशीर्वाद से, आप अपने विशेष कार्यों के लिए कई विशिष्ट पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकीं हैं। आप निरंतर राष्ट्रसेवा, जैनदर्शन,जीवन मूल्य, प्राकृत-संस्कृत-हिन्दी भाषा , ब्राह्मी लिपि और शाकाहार के प्रचार-प्रसार में पूर्णत: समर्पित रहतीं हैं। गणमान्य व्यक्तियों ने डॉ. इन्दु द्वारा प्रस्तुत जैन प्रार्थना की प्रशंसा की तथा भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं।


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