जिसका मन शुद्ध है वही पवित्र है- मुनिश्री सहज सागर जी


इंदौर। इस संसार में जिसका मन शुद्ध है वही पवित्र है। मन की शुद्धि के लिए अपनी मानसिक स्थिति सुधारो और संकल्प विकल्पों से रहित होकर अपने मन को ,अपने भावों को निर्मल और पवित्र बनाओ।कु विचारों के कारण अपने मन को अपवित्र मत करो।

यह बात मुनि श्री सहज सागर जी ने समोसरण मंदिर कंचन बाग में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहीं। निंदा को विष की संज्ञा देते हुए उन्होंने कहा कि निंदा से नरक गति का बंध होता है, न किसी की निंदा करो न सुनो। मुनि श्री ने यह भी कहा कि अपने जीवन को ऊंचा उठाएं और अपने कु -भावों एवं निंदा पर अंकुश लगाएं और शुद्ध मन से विष और विषयों का त्याग कर मोक्ष रूपी मंजिल को प्राप्त करने का पुरुषार्थ करें। मीडिया प्रभारी श्री राजेश जैन दद्दू ने बताया कि धर्म सभा मैं काफी संख्या में महिला पुरुष उपस्थित होकर प्रवचन श्रवण का लाभ ले रहे हैं। धर्म सभा का संचालन श्री हंसमुख गांधी ने किया।

— राजेश जैन दद्दू


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