राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जैन धर्म के 800 वर्ष प्राचीन ग्रंथों का किया अवलोकन


देश के राष्ट्रपति महामहिम रामनाथ कोविंद जी के दोदिवसीय गुजरात दौरे में गांधीनगर के कोबा गांव स्थित महावीर जैन आराधना केंद्र में जैन धर्म की प्राचीन धरोहर हस्तलिखित पांडुलिपियों के साथ विभिन्न तरह की अति प्राचीन चीजों का अवलोकन किया और हस्तलिखित भारतीय जैन पांडुलिपियों के बारे में जानकारी प्राप्त की।

इस दौरान राष्ट्रपति ने जैन आचार्य पद्मसागर सूरीर महाराज के दर्शन कर आशीर्वाद लिया और उनके साथ 25 साल पुराने संबंधों की भी याद ताजा की। बता दें कि महावीर जैन आराधना केंद्र में महामहिम रामनाथ कोंविद जी वर्ष 1994 में जब राज्यसभा सदस्य बने थे, तब पहली बार आचार्य पद्मसागर सूरीर जी से उनकी मुलाकात हुई थी। महामहिम राष्ट्रपति जी के साथ गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी उपस्थित थे।

 

महामहिम राष्ट्रपति जी महावीर जैन आराधना केंद्र में 25 वर्ष पूर्व आये थे और उसके बाद से ही उनकी इच्छा यहां दोबारा आने की थी।  बता दें कि महावीर जैन आराधना केंद्र में लगभग 2 लाख प्राचीन ग्रंथ, प्राचीन पांडुलियां, भोजपत्र पर लिखे गये दस्तावेज, सुनहरे स्हायी से लिखित कल्पसूत्र की पुरानी प्रति, भोट भाषा में लिखित तिब्बतीय ग्रंथ. अन्य संस्कृति के ग्रंथ, पहली-दूसरी शताब्दी की मूर्ति, राष्ट्रपति जी ने 800 आग्रही ग्रंथ चंद्रप्रज्ञापी के अलावा 500 वर्षीय पुराना ग्रंथ का भी अवलोकन किया। महामहिम राष्ट्रपति जी को महावीर जैन आराधना केंद्र की तरफ से अष्टमंगल प्रतीकों के साथ चांदी के कलश और पुस्तकालय में संरक्षित 550 साल पुराने कल्पसूत्र के पहले पृष्ठ की प्रतिकृति भेंट की गई। महामहिम राष्ट्रपति जी की दो दिवसीय दौरे में रायसण गांव में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की माता हीराबा से भी शिष्टाचार भेंट की।


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