सातवां अखिल भारतीय बैंकर्स सम्मेलन, विभिन्न स्थानों के 200 जैन बैंकर्स अधिकारी हुए शामिल


तिजारा। श्री चंद्रप्रभु दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र तिजारा की पावन धरा पर प्रशांतमूर्ति आचार्य 108 श्री शांति सागर छाणी महाराज के समाधि हीरक महोत्सव वर्ष के उपलक्ष में सराकोद्धारक आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज के पावन सानिध्य में अखिल भारतीय बैंकर सम्मेलन का शुभारंभ मंगलाचरण से हुआ। श्री चंद्रप्रभु भगवान के चित्र का अनावरण, दीप प्रज्वलन, गुरुवर के पादप्रक्षालन और शास्त्र भेंट के उपरांत श्री जे के जैन वैशाली राष्ट्रीय महासचिव ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आचार्य श्री की प्रेरणा एवं आशीर्वाद से दिल्ली, अलवर, जयपुर, जोधपुर, भीलवाड़ा आदि स्थानों पर बैंकर्स फोरम की शाखाएं खुल रही हैं। इस सम्मेलन का एक ही लक्ष्य है कि हम सभी का लाभ समाज को मिले; साथ ही हमारी शाखाएं शिक्षा, चिकित्सा एवं सेवा के क्षेत्र में अनेक तरह के कार्य करें।

श्री के के जैन राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आचार्यश्री के बेंगलुरु में सन 2010 में वर्षायोग से ही हमारे अंदर गुरुओं के प्रति, धर्म के प्रति श्रद्धा का दीप जला है और आज भी वह जल रहा है। इस वर्ष छाणी महाराज का समाधि हीरक महोत्सव वर्ष चल रहा है हम सभी जो भी कार्य करें उनके बैनर तले करें। श्री पवन कुमार जी अध्यक्ष देहरा तिजारा ने कहा कि क्षेत्र पर आए आप सभी का हार्दिक स्वागत करता हूं। अगर कोई परेशानी हुई हो तो क्षमा करें।

श्री पुष्प जी गुड़गांव 82 वर्षीय बैंक अधिकारी को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। ब्रह्मचारिणी अनीता दीदी ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि बाहर के बैंक में आप जो दौलत रखते हैं वह तो लुट भी सकती है, पर हमारी आत्मा का जो बैंक है इसमें अनंत चतुष्टय रूपी शाश्वत सम्पति है। बाहर के बैंक की जानकारी आप सभी दे रहे हैं पर अंदर के बैंक की जानकारी पूज्यश्री देंगे।

दोपहर में द्वितीय सत्र में उस शाखा को सम्मानित किया गया जो एक साल में सबसे अधिक कार्यक्रम कराती है। श्री जे के जैन का सम्मान प्रशस्ति पत्र आदि देकर किया। श्री सुकुमाल चंद जी आदि को सम्मानित किया गया। श्री आर सी लोढ़ा जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इस संसार समुद्र से पार लगाने के लिए यह गुरु महाराज ही मांझी है। इस सम्मेलन का उद्देश्य शिक्षा, सेवा, समाधान, पर्यावरण, विज्ञान, धार्मिक ज्ञान आदि है। आज अनेक स्थानों पर सेवा स्थान चल रहे हैं हमारी शाखाओं के द्वारा भी ऐसे स्थान चले तो अच्छा है। *हर कोई सदस्य एक-एक सदस्य को बढ़ाएं तो आपकी शाखा में बहुत सदस्य हो जाएंगे।

तदनंतर आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने अपनी पीयूष वाणी द्वारा कहा कि अहंकारी व्यक्ति कभी सेवा नहीं कर सकता वह अपनी सोच को पॉजिटिव नहीं बना पाता। आप सभी का समर्पण प्रशंसनीय है। सभी के सहयोग से ही कोई भी संस्था लंबे समय तक टिकी होती है। मुझे तो सभी करमचंद दिखाई देते हैं जिस संस्था में हुकुमचंद होंगे वह संस्था ज्यादा दिन नहीं टिक सकती है। जिस संस्था में करमचंद होंगे वह संस्था अच्छी तरह से समाज की सेवा कर सकती है। आप विचारों को शक्तिशाली बनाएं सहयोग की भावना सेवा की भावना से आपके विचार शक्तिशाली बनते हैं। अपने विचारों में उदारता समर्पण का भाव लाए तभी आपके विचार सशक्त बन सकते हैं। जोड़ने के विचार हो दया करुणा प्रेम के विचार हो तभी आपके विचार शक्तिशाली बन सकेंगे। आध्यात्मिक विचार आप अपने अंदर जगाएं तभी जीवन महान बन सकता है।

इसी के साथ आचार्य श्री ने कहा कि आज भौतिक संसाधनों का दुरुपयोग ज्यादा हो रहा है, आप सभी उन संसाधनों का आवश्यक कार्य के लिए ही उपयोग करें। तभी आपके बच्चों पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा, जैन व्यक्तियों की ईमानदारी प्रमाणिकता के कई प्रसंग आप सभी ने सुने हैं जैन अधिकारी का नाम सुनते ही सभी सहजता से काम करा लेते थे। जैन अधिकारी की ईमानदारी बहुत चर्चित हो जाती थी। हर जिले में बैंकर्स फोरम की शाखाएं बने ताकि बैंकर्स सम्मेलन ऊंचाइयों की ओर अपने कदम बढ़ाए।

— अतुल जैन


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