जैन धर्म की बधिर युवती ने एक वर्ष में 2 सौंदर्य प्रतियोगिताएं जीती, किंतु चर्चा नहीं


कुछ हस्तियां ऐसी  होती हैं, जिनके पीछे मीडिया और सोशल मीडिया छाया रहता है किंतु कुछ  गुमनामी में रह जाती हैं, जिसके बारे में न तो इलेक्ट्रोनिक मीडिया दिखाती है और न प्रिंट मीडिया। एक वर्ष में एक नहीं दो-दो अंतरराष्ट्रीय सौदर्य प्रतियोगिता जीतने वाली देशना जैन (बधिर) ने मिस इंडिया (बधिर) का खिलाब जयपुर में जीता बल्कि मिस एशिया (बधिर) की भी वे विजेता बनी। इसके अलावा ताइवान के ताइपे में आयोजित मिस इंटरनेशनल (बधिर) प्रतियोगिता में चौथा स्थान हासिल किया।

अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जीत हासिल करने के बाद भी देशना जैन चर्चा का विषय नहीं बन पायी। देशना के बारे में न टीवी चैनलों ने दिखाया और न ही प्रिंट मीडिया में दिखाया गया। यह एक विडवंना है कि एक तरफ टीवी चैनलों की कतार अंदर जाने के लिए इंतजार करती है, वहीं अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता को जीतने वाली देशना जैन के लिए उन्हें समय तक नहीं है। एंटरप्रेटर की मदद से देशना जैन ने मिस एशिया (बधिर) प्रतियोगिता के अनुभव के बारे में बताते हुए कहा कि मैं काफी घबराई हुई थी क्योंकि इस प्रतियोगिता में 20 से ज्यादा देशों से प्रतिभागी आए हुए थे। मैं सोच रही थी कि वे मुझसे ज्यादा सुंदर और अच्छे पकड़े पहने हुए हैं किंतु सौभाग्यवश मिस एशिया (बधिर) का खिलाब मुझे हासिल हुआ। उन्होंने कहा कि मैं चाहती हूं कि भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रमों में हिस्सा लूं और अपने परिवार तथा देश का नाम ऊंचा उठा सकूं। देशना की मां अपनी बेटी की जीत पर काफी खुश हैं।

ज्ञातव्य हो कि मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ निवासी देशना ने बताया कि जब उनका परिवार किसी पार्टी आदि में जाता था तो लोग मजाक उड़ाते थे। इस पर पिता को गुस्सा आ जाता था और वे चले जाते थे। मेरे पिता मेरा उपहास नहीं देख सकते थे। इसलिए उन्होंने रिश्तेदारों से दूरी बना ली किंतु अब वही रिश्तेदार मुझ पर गर्व करते हैं। देशना इंदौर की बायलिंग्वल एकेडमी से बीए कर रही हैं। देशना की मां ने कहा कि मुझे पता है कि मेरी बेटी बधिर (सुन नहीं सकती) है किंतु हमारे समाज में लोग उसकी इस उपलब्धि पर अंधे बने हुए हैं।

मिस एशिया के लिए ताइवान जाने का खर्चा मेरे परिवार ने ही उठाया यहां तक कि कोई प्रायोजक या सरकारी मदद तक नहीं मिली किंतु जिसके इरादे बुलंद होते हैं, वे इन सबकी परवाह नहीं करते और जब वे हस्ती बन जाते हैं तो मजाक और दूरी बनाने वाले लोग ही सफलता के बाद पीछे-पीछे लग जाते हैं।


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