आचार्य श्री विपुल सागर जी महाराज ससंघ का पावापुरी (नालंदा) से पटना चातुर्मास हेतु ग्रीष्म प्रवास के उपरांत मंगल विहार हुआ।


पावापुरी स्थित श्री दिगम्बर जैन मंदिर में विराजमान सप्तम पट्टाचार्य आचार्य श्री 108 विपुल सागर जी महाराज (3 पिच्छी) ससंघ का चार माह ग्रीष्म प्रवास के उपरांत चातुर्मास हेतु पटना के लिए गुरुवार शाम में मंगल विहार हुआ।

पावापुरी से विहार करके लगभग 85 कि•मी• पद यात्रा करके जैन संतो का संघ संभावित 10 जुलाई को महामुनि श्री सुदर्शन स्वामी की निर्वाण भूमि पटना में मंगल प्रवेश होगा।

जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी की पावन पवित्र निर्वाण भूमि पर दिगम्बर जैन संतो ने चार माह ग्रीष्म प्रवास के दौरान भगवान महावीर का ध्यान – साधना किये।

ज्ञातव्य हो कि पंचतीर्थ यात्रा के दौरान जैन संतो का प्रवेश पावापुरी में हुआ था , यहां जैन श्रद्धालुओं को कई धार्मिक आयोजन में आचार्य श्री ससंघ का मंगल सानिध्य का अवसर प्राप्त हुआ।

मालूम हो कि कुछ दिन पहले सकल दिगम्बर जैन समाज पटना से समिति के प्रतिनिधि जैन संतो का चातुर्मास पटना में कराने हेतु पावापुरी पहुंच आचार्य गुरुवर के समक्ष निवेदन किया था।

गुरुवर आचार्य श्री विपुल सागर जी महाराज , संघस्थ आचार्य श्री भद्रबाहु सागर जी महाराज , मुनि श्री भरतेश सागर जी महाराज ने स्वीकृति प्रदान करते हुए पटना जैन समाज को आशीर्वाद दिया और चातुर्मास कराने का सौभाग्य दिगम्बर जैन समाज पटना को प्राप्त हुआ।

इस पदविहार में मुख्य रूप से पटना से अजित कुमार जैन (अधिवक्ता) सेवा प्रदान कर रहे है।

प्रवीण जैन (पटना) ने बताया कि वर्षाकाल में अनंतों जीवों की उत्पत्ति बहुतायत की संख्या में चारों ओर व्याप्त रहते है , ऐसे में पदविहारी जैन साधु संतों से उनके विहार में किसी सूक्ष्म से सूक्ष्म जीवों की हिंसा न हो जाय इस कारण जैन संत वर्षाऋतु में चार माह तक अपनी पदयात्रा को विराम देकर अपने आत्मकल्याण हेतु स्वाध्याय , सामायिक , धार्मिक-आध्यात्मिक ग्रंथो , जैन धर्म व दर्शन का अध्ययन मनन करते है साथ ही जैन धर्मावलंबियों के बीच धर्म की प्रभावना करते है।

वर्षाकाल में जैन साधु-साध्वी एक स्थान पर रहकर चातुर्मास (वर्षायोग) करते है।

 

— प्रवीण जैन (पटना)


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