सागर नगर के भाग्योदय तीर्थ की पवित्र भूमि पर एक ऐसे अद्भुत 260 फीट ऊंचे विशालकाय मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो गया है, जो अपनी अदभुत कला के लिए जाना जाएगा। आज से लगभग 23 वर्ष पूर्व जब इसका नाम भाग्योदय तीर्थ रखा गया था, तब जो तीर्थ की संज्ञा दी गई थी, वह आज चरितार्थ होने जा रही है। मंदिर की रचना चतुमरुखी होगी, जिससे श्रद्धालुओं को चारों दिशाओं में देखने से दिशा बोध नहीं होगा। यह ऐसी पावन भूमि है, जहां पांच-पांच पंचकल्याणक हुए हैं। अब अवसर आ गया है कि विश्व के अद्धितीय शिल्पकला के सुसज्जित मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो गया है।
आज से पूर्व सागर जैन समाज ने जो बीज बोये थे आज वे हजार गुना फल दे रहे हैं। यह बात आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ने बुधवार को भाग्योदय तीर्थ में आयोजित एक जनसभा में कही। उन्होंने कहा कि सागर जैन समाज ने तन, मन और धन से इस भूमि कर को सींचा है। यही कारण है कि यहां प्रतिदिन शांति विधान होता है। ऐसे मनोहारी मंदिर को इतिहास याद रखेगा। आचार्यश्री ने कहा कि आपके और जन-जन के धन का यहां पूरा उपयोग होगा। भाग्योदय तीर्थ परिसर में पहुंचकर अचार्यश्री ससंघ ने मंदिर स्थल का मुआयना किया। जैसे ही मंदिर परिसर में आचार्यश्री ससंघ का आगमन हुआ लोग जय जयकारे लगाने लगे।
आचार्यश्री की आहारचर्या देवेंद्र जैन, विकास जैन के चौके में हुई। आचार्यश्री का पाद पक्षालन सुनील बिलाला, इंदौर और राजीव जैन टीकमगढ़ ने किया। उद्योगपति अशोक पाटनी, सुशीला पाटनी, किशनगढ़, राजस्थान से आचार्यश्री के दर्शन करने यहां पहुंचे। मुकेश जैन, आनंद जैन, इंजीनियर आर.के.जैन, महेंद्र जैन, आदर्श स्टोन, संजय जैन, बरोदा, ऋतुराज जैन, सुरेश बब्बा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।