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एडीजी और कमिश्नर ने लिया आचार्यश्री से आशीर्वाद

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एडीजी और कमिश्नर ने लिया आचार्यश्री से आशीर्वाद

मध्यप्रदेश पुलिस के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक पवन जैन और मध्यप्रदेश पुरातत्व विभाग के आयुक्त आजाद शत्रु श्रीवास्तव ने आचार्यश्री के दर्शन किए और उनका आशीर्वाद लिया। दोनों वरिष्ठ अधिकारियों ने आचार्यश्री से मध्यप्रदेश और देश की योजनाओं और उनके क्रियान्वयन के बारे में चर्चा की। खास बात यह है कि इन दोनों अधिकारियों ने लगभग 15 मिनिट तक आचार्यश्री की वैयावृति (उनके पांव दबाएं) की।

दुबई से पहुंचे भक्त

सोमवार को आचार्य विद्यासागर जी महाराज के दर्शन करने दुबई से नितिन जैन के साथ अनेक लोग भोपाल पहुंचे थे। इसी प्रकार दिल्ली से अरूण जैन के साथ एक प्रतिनिधि मंडल आचार्यश्री के दर्शन के लिए पहुंचा। सागर से महेश जैन बिलहेरा और ऋषभ जैन मड़ावरा के साथ काफी लोग आए थे। सभी ने आचार्यश्री को श्रीफल भेंटकर उनसे आशीर्वाद लिया।

कर्मों की निर्जरा के बिना मोक्ष नहीं

राजधानी भोपाल में चातुर्मास कर रहे जैन संत आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने कहा है कि ऐसी कहावत है कि फूल बिछाओ, कांटे मत बिछाओ। यदि कांटे देखकर मन में विषमता और प्रतिकूलता आती है तो समझ लो समझ लो वीतरागता का अभाव है। दिगम्बर जैन मुनि मोक्ष मार्ग पर चलते हुए 22 प्रकार के परिषह सहन करते हैं और समता भाव रखते हैं। आचार्यश्री हबीबगंज जैन मंदिर में सोमवार को धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर दुबई और दिल्ली से आए भक्तजनों ने संगीत के साथ आचार्यश्री की पूजन की। सोमवार को आचार्यश्री के आहार बाबूलाल अशोक कुमार जैन लखेरापुरा वालों के चौके में संपन्न हुई।

अपने आर्शीवचन में आचार्यश्री ने कहा कि श्रावक (भक्त) श्रमण (संत) के निकट तो रहते हैं, लेकिन सन्निकट नहीं आते। इसलिए कांटों से बचाव के बारे में विचार करते हैं। जैन मुनि 22 प्रकार के परिषहों को समताभाव सहन करते हैं और उनमें प्रतिकूल का भाव नहीं आता। कर्म की निर्जरा से बचकर मोक्ष मार्ग पर नहीं बढ़ सकते। मोक्ष मार्ग क्या है यदि आप उस पर चल नहीं सकते तो समझने का प्रयास अवश्य करना चाहिए। यह भी एक पुरुषार्थ है। आचार्यश्री ने कहा कि कर्मों की निर्जरा भी बुद्धिपूर्वक करना चाहिए, मजबूरी  में नहीं। विवेक के साथ किए गए पुरुषार्थ से ही हमें इस परीक्षा में शत प्रतिशत नंबर मिल सकते हैं। मोक्ष मार्ग की परीक्षा और इसके सवाल कठिन होते हैं। इसमें सुविधा नहीं दुविधा हो सकती है।

आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने कहा कि वीर के सुपुत्र भी वीर होते हैं। जैन धर्म के अनुयायी भगवान महावीर के उपासक हैं। यदि कर्मों से डरेंगे तो मुक्ति कैसे मिलेगी। उन्होंने कहा कि संत और श्रवण की चर्या देखकर इंद्र भी तालिया बचाते होंगे। क्योंकि ऐसी चर्या उन्हें भी संभव नहीं है।

 

रवीन्द्र जैन


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