Home Jain News 18 वर्ष बाद नगर पधारने पर समाज ने किया मुनिश्री तरुण सागर का भव्य स्वागत

18 वर्ष बाद नगर पधारने पर समाज ने किया मुनिश्री तरुण सागर का भव्य स्वागत

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18 वर्ष बाद नगर पधारने पर समाज ने किया मुनिश्री तरुण सागर का भव्य स्वागत

अपने कड़वे प्रवचनों के लिए प्रख्यात मुनिश्री तरुण सागर जी महाराज का रजवाड़ा से सहारनपुर पहुचने पर रविवार भव्य उनका स्वागत किया गया। मुनिश्री का इस नगर में 18 वर्षो बाद आगमन हुआ है। इसलिए नगर के समाज में विशेष उत्साह और खुशी का माहौल था। मुनिश्री के प्रवेश करते ही भक्तिमय भजनों, बैंड-बाजों के  साथ उनकी आगवानी की। सबसे आगे धर्म पताका लिए युवक चल रहा था तो उसके पीछे जैनत्व का स्वर्ण मंडित संदेश था। बैंड-बाजों पर बज रहे धार्मिक भजनों की धुनें सभी का मन मोह रही थी तो वहीं कुछ महिलाएं भाव-विभोर होकर हाथों में डांडिया स्टिक और चंवर लिए नृत्यरत थी।

सबसे पीछे मुनिश्री तरुण सागर जी चल रहे थे और उनके आगे भजन मंडली चल रही थी। कार्यक्रम के मुख्य संयोजन चंद्र जैन, समाज के अध्यक्ष राजेश जैन, नगर विधायक राजीव गुंबर, पूर्व मंत्री संजय गर्ग के साथ अम्बाला रोड टाकीज पर पहुचने पर हजारों लोगों की जय-जयकार के बीच मुनिश्री की चरणरज ली। अभिनंदन यात्रा अम्बाला रोड, लोहानी सराय होते हुए चौकी सराय स्थित स्वागत कैम्प पहुंची जहां जैन समाज ही नहीं बल्कि सिख, मुस्लिम, वैष्णव सहित अन्य धर्मो के लोग मुनिश्री का आशीर्वाद पाने को आतुर दिखे।  यहां से अभिनंदर यात्रा के साथ मुनिश्री चौक फब्बारा, नया बाजार, सर्राफा बाजार, हलवाई हटटा, रानी बाजार, रायवाला होते हुए जैन बाग स्थित मंदिर पहुंचे।

अभिनंदर यात्रा के नगर भ्रमण के दौरान मुस्लिम समाज के लोगों ने जैन संत को नमन कर उनका अभिनंदन किया और हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश की। इस दौरान मुसिल्म समाज के लोगों ने जैन समाज के अध्यक्ष राजेश जैन, वंद्र जैन, कुलभूषण जैन का माल्यार्पण कर स्वागत किया। स्वागत करने वालों में जामा मस्जिद के प्रबंधक मौलवी फरीद, अकमल बिटटू, सगीर अहमद, आरिफ खान, जमील सिराज आदि थे। मंदिर पहुंचकर मुनिश्री तरुण सागर जी ने कहा कि सहारनपुर वे क्षेत्र है, जहां लोगों की आस्था स्पष्ट झलकती है। उन्हें आज भी सहारनपुर में अपना किया चातुर्मास याद है। यहां के श्रद्धालु निर्मल, पावन और आस्थावान हैं।

उन्होंने कहा कि संस्कार अपने घर से शुरू होते हैं। पहले मां-बाप बच्चे को अंगुली पकड़कर मंदिर ले जाते हैं और वहीं से शुरू होते हैं संस्कार। यही संस्कार हैं जो बुढ़ापे में वही बच्चा अपने बूढ़े बा-बाप को मंदिर ले जाता है। आज ऐसे ही संस्कारों की जरूरत समाज को है। मुनिश्री के निर्देशन में 21 दिसम्बर को संस्कार पाठशाला जैन बाग जैन धर्मशाला में आयोजित की गई है। इस दौरान संजीव जैन, सत्येंद्र जैन, सुभाष चंद्र जैन, अजय जैन, अक्षय जैन, अमित जैन, सुभाष जैन, विपिन जैन, संदीप जैन, अविनाश जैन, मुकेश जैन आदि सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।


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