परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर गुरुवर का प्रकृति प्रेम


कुण्डलपुर सन 1976 सुना है कुण्डलपुर वर्षायोग के जब वर्षा रुक जाती तब गुरुवर मंदिर के बाहर खुले आकाश के नीचे शिला तल पर बैठ जाते थे एक दिन जब शिला तल पर बैठ रहे थे तभी एक श्रावक् ने झट से लाकर चटाई बिछा दी।

आचार्य गुरुवर ने देख लिया और मुस्कराकर बोले की जिन्हे वस्त्र गंदे होने का भय है। ये चटाई उनके लिए है हमारे तो वस्त्र है नहीं इसलिए हमको कोई डर नहीं है। सभी लोग गुरुवर के मनोविनोद पर हसने लगे और प्रकृति के बीच उनके प्रकतिस्थ आत्मस्थ रहने की बात सोचकर सभी का मन गदगद हो गया। प्रकृति मे प्रकृति की तरह निश्चल और निस्पृह होकर विचरण करना एक सच्चे साधू की उपलब्धि है।

             — अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी (मुनि क्षमासागर जी की पुस्तक आत्मानवेशी)


Comments

comments

अपने क्षेत्र में हो रही जैन धर्म की विभिन्न गतिविधियों सहित जैन धर्म के किसी भी कार्यक्रम, महोत्सव आदि का विस्तृत समाचार/सूचना हमें भेज सकते हैं ताकि आप द्वारा भेजी सूचना दुनिया भर में फैले जैन समुदाय के लोगों तक पहुंच सके। इसके अलावा जैन धर्म से संबंधित कोई लेख/कहानी/ कोई अदभुत जानकारी या जैन मंदिरों का विवरण एवं फोटो, किसी भी धार्मिक कार्यक्रम की video ( पूजा,सामूहिक आरती,पंचकल्याणक,मंदिर प्रतिष्ठा, गुरु वंदना,गुरु भक्ति,गुरु प्रवचन ) बना कर भी हमें भेज सकते हैं। आप द्वारा भेजी कोई भी अह्म जानकारी को हम आपके नाम सहित www.jain24.com पर प्रकाशित करेंगे।
Email – jain24online@gmail.com,
Whatsapp – 07042084535