आत्मशुद्धि का पर्व है पर्युषण : आचार्य विजय धर्मधुरंधर


लुधियाना के मोहन देई ओसवाल जैन उपाश्रय में परमपूज्य गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद विजय धर्मधुरंधर सूरीश्वर महाराज ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि जिन दिनों में आत्मशुद्धि की प्रक्रियाएं ज्यादा की जाती हैं, उन दिनों को पर्युषण पर्व कहते हैं। उन्होंने बताया कि पर्व कई प्रकार के होते हैं- लौकिक एवं लोकोत्तर। लोकोत्तर पर्व में भी सर्वश्रेष्ठ पर्व पर्युषण पर्व होता है। पर्युषण पर्व में हम सभी को ज्यादा से ज्यादा तप करना चाहिए। ऐसा तप जो कर्मों की निजर्रा करे।

उन्होंने कहा कि स्वयं भगवंत भी सिद्धि प्राप्ति हेतु तपश्चर्या करते हैं। बलदेव-वासुदेव आदि भी किसी भी विपदा-विपत्ति आने पर तपस्या करते हैं। इसलिए पर्युषण पर्व में श्री कल्पसूत्र का श्रवण जरूर करना चाहिए और उसके एक-एक शब्द को समझना चाहिए। अपने पूरे जीवनकाल में कम से कम 21 बार विधि-विधान से सभी कर्त्तव्य पूर्ण करते हुए श्री कल्पसूत्र को सुनना चाहिए। शुरू के तीन दिन अष्टाहिन्का ब्याख्यान और उसके बाद के चार दिन श्री कल्पसूत्र तथा अंतिम दिन श्री बारसा सूत्र श्रवण करना चाहिए।


Comments

comments

अपने क्षेत्र में हो रही जैन धर्म की विभिन्न गतिविधियों सहित जैन धर्म के किसी भी कार्यक्रम, महोत्सव आदि का विस्तृत समाचार/सूचना हमें भेज सकते हैं ताकि आप द्वारा भेजी सूचना दुनिया भर में फैले जैन समुदाय के लोगों तक पहुंच सके। इसके अलावा जैन धर्म से संबंधित कोई लेख/कहानी/ कोई अदभुत जानकारी या जैन मंदिरों का विवरण एवं फोटो, किसी भी धार्मिक कार्यक्रम की video ( पूजा,सामूहिक आरती,पंचकल्याणक,मंदिर प्रतिष्ठा, गुरु वंदना,गुरु भक्ति,गुरु प्रवचन ) बना कर भी हमें भेज सकते हैं। आप द्वारा भेजी कोई भी अह्म जानकारी को हम आपके नाम सहित www.jain24.com पर प्रकाशित करेंगे।
Email – jain24online@gmail.com,
Whatsapp – 07042084535