दसलक्षण पर्व के दूसरे दिन दिगंबर जैन मंदिरों में हुई उत्तम मार्दव धर्म की पूजा-अर्चना

बड़े बाजार स्थित शांतिनाथ मंदिर में दशलक्षण पर्व के दूसरे दिन बुधवार को पूजन करते श्रद्धालु।

बंगाईगांव।। 1008 शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर बंगाईगांव में धर्म की गंगा बह रही है। सभी समाजबंधु धर्म में लीन होकर दसलक्षण पर्युषण पर्व मनाने में लगे हुए हैं। इस दौरान आज सुबह के समय केसरिया धोती-दुपट्टा पहनकर युवा और बुजुर्ग भजनों की लय पर नृत्य करते हुए प्रभु की भक्ति में लीन दिखाई दे रहे थे।

जैन धर्म के दशलक्षण [पर्युषण] महापर्व का दूसरा दिन स्वाभाविक धर्म उत्तम मार्दव के नाम रहा। दसलक्षण पर्व पर दिगंबर जैन मंदिर में चल रहे कार्यक्रम के तहत मंगलवार को उत्तम मार्दव धर्म दिवस के अवसर पर मान सम्मान की लालसा छोड़कर मन में कोमलता जाग्रत करने के लिए पूजा अर्चना की गई। बड़े बाजार स्थित 1008 शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में इस अवसर पर नित्य नियम पूजा, अभिषेक, शांतिधारा के कार्यक्रम हुए तथा दसलक्षण विधान आयोजित किया गया। आज मुख्य कलशाभिषेक व शांतिधारा करने का परम सौभाग्य लालचंद चिरंजीलाल निर्मल कुमार गंगवाल परिवार को प्राप्त हुआ।

पर्युषण पर्व के दूसरे दिन उत्तम क्षमा व मार्दव धर्म पर प्रवचन देते हुए आर्यिका रतनमती माताजी ने कहा कि पर्व विशिष्ट अवसर को कहते हैं। पर्व का अर्थ है जोड़ने वाला। जिस प्रकार गन्ने की गांठ एक-दूसरे को जोड़ती है उसी प्रकार पर्व आत्मा और परमात्मा को जोड़ने का काम करता है।

आगम में कहा गया है कि पूजा पाठ, स्त्रोत, तप ध्यान से बढ़कर क्षमा है। क्रोध क्षमा को प्रकट नहीं होने देता है। अनंतानुबंधी क्रोध पाषाण पर उभरी रेखा के समान है। क्रोध विनाश की जड़ है। अहंकार भी एक क्रोध है। क्रोध के कारण रिश्ते टूट जाते हैं। घर परिवार उजड़ जाते हैं, मित्रता छूट जाती है। क्रोध के कारण सिर्फ अशांति ही रहती है। जो पल-पल में क्रोध कर रहे हैं वो हरदम अपने लिए नए शत्रु तैयार कर रहे हैं इसलिए आप सभी क्रोध से बचो। घर हो,समाज हो चाहे राष्ट्र हमें व्यवस्था के अनुसार ही चलना चाहिए। व्यवस्था को अपने अनुसार नहीं चलना चाहिए। क्रोध से बचने क्षमा धर्म अपनाना चाहिए।

इस मौके पर आर्यिकारत्न 105 गरिमामती माताजी ने भी प्रवचन के माध्यम से कहा कि उत्तम मार्दव धर्म उत्तम ज्ञान में भी प्रमुख प्रधान है। मृदुभाव-मार्दव- अर्थात् मृदु स्वभाव और नम्र भाव का नाम है मार्दव। मान व्यक्ति को झुकने नहीं देता, बल्कि दुनिया को झुकाना चाहता है। जब तक झुकने की कला नहीं आएगी,तब तक परमात्मा की प्राप्ति नहीं हो सकती।
उन्होंने कहा कि धन,दौलत,शान और शौकत इंसान को अहंकारी और अभिमानी बना देता है ऐसा व्यक्ति दूसरों को छोटा और अपने आप को सर्वश्रेष्ठ मानता है, यह सब चीजें नश्वर हैं। यह सब चीजें एक दिन आप को छोड देंगी या फिर आपको एक दिन इन चीजों को छोडना ही पडेगा। नश्वर चीजों के पीछे भागने से बेहतर है कि अभिमान और परिग्रह सब बुरे कर्म में बढोतरी करते हैं। जिनको छोडा जाये और सब से विनम्र भाव रखकर सभी जीवों के प्रति मैत्री भाव रखें क्योंकि सभी जीवों को जीवन जीने का अधिकार है।

उत्तम मार्दव धर्म हमें अपने आप की सही वृत्ति को समझने का जरिया है। सभी को एक न एक दिन जाना ही है तो फिर यह सब परिग्रहों का त्याग करें और बेहतर है कि खुद को पहचानों और परिग्रहों का नाश करने के लिए खुद को तप,त्याग के साथ साधना रुपी भट्ठी में झोंक दो क्योंकि इनसे बचने का और परमशांति मोक्ष को पाने का साधन साधना ही एकमात्र विकल्प है।

आयोजन समिति के प्रवक्ता रोहित छाबड़ा जैन ने बताया कि कल सांध्य बेला में शास्त्र प्रवचन के बाद अरविंद पहाड़िया व साकेत सेठी द्वारा शांतिसागर महाराज पर आधरित धार्मिक तम्बोला करवाया गया जिसमें सब समाजजनों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया व समाज के वरिष्ठ मनसुख बज व यूथ फेडरेशन के उपाध्यक्ष मोंटी सेठी ने धार्मिक तम्बोला के अंतर्गत मोक्ष प्राप्त किया।

उन्होंने जानकारी दी कि दसलक्षण पर्व के तीसरे दिन रविवार को उत्तम आर्जव धर्म की पूजा होगी। व आज शाम को श्रीजी व विधान मंडल की भव्य संगीतमय महाआरती की जायेगी ततपश्चात मन्दिर जी के निचले हाल प्रांगण में शास्त्र वाचन होगा फिर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा।
बंगाईगांव समाज के अध्यक्ष विजय रारा, उपाध्यक्ष सुनील बगड़ा, मिन्टू सरावगी, मंत्री कमल पहाड़िया ने सभी समाजजनों से आग्रह ओर आह्वान किया है कि इस महापर्व में ज्यादा से ज्यादा सम्मलित होकर धर्म लाभ व पुण्यार्जन करे। उन्होंने बताया कि महापर्व को लेकर उनके द्वारा पूर्ण व्यवस्था स्थापित की गई है जिससे कि इस धर्ममयी आयोजन में किसी को भी किंच भर की असुविधा ना हों और सब लोग अपनी अपनी धार्मिक तपस्या में पूर्णतया लीन रहे।

 

— रोहित कुमार छाबड़ा


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