विश्व का सबसे ऊंचा बनने वाला जैन मंदिर, आचार्यश्री के सानिध्य में हुआ शिलान्यास


सागर के भाग्योदय तीर्थक्षेत्र में बनने वाले 216 फीट ऊंचे भव्य चतुमरुखी जिनालय का शिलान्यास रविवार को आचार्यश्री विद्यासागर जी ससंघ के पावन सानिध्य में किया गया। समाज का दावा है कि एक एकड़ भूमि पर बनने वाला यह जैन मंदिर ऊंचाई के मामले में दुनिया का अब तक का सबसे ऊंचा मंदिर होगा। आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ने बताया कि इस जिनालय की परिकल्पना सन 1993 में की गई थी।

जिनालय में तीन खंडों में 288 प्रतिमाएं विराजमान की जाएंगी, जिनमें 12 मूलनायक भगवान होंगे। प्रत्येक खंड में चार चौबीसी होगी। चतुमरुखी जिनालय के निर्माण में जैसलमेर के पत्थर का प्रयोग किया जाएगा और चारों दिशाओं में हाथी की मूर्तियां इस तरह स्थापित की जाएंगी, जिससे प्रतीत होगा कि जैन मंदिर उनकी पीठ पर रखा हुआ है। प्रतिमा की डिजायन जबलपुर के मैटल आर्टिस्ट जगदीश परिहार ने तैयार की है।

मंदिर की अनुमानित लागत लगभग 125 करोड़ होगी। भाग्योदय तीर्थक्षेत्र में रविवार प्रात: आचार्यश्री विद्यासागर जी ससंघ के प्रवेश से पूरा आयोजन स्थल गुरुदेव के जयकारों से गूंजने लगा। सिर पर शिला रखकर पहुंचे दानदाताओं ने मंच पर ससंघ विराजमान आचार्यश्री को नमोस्तु कर आशीर्वाद लिया। उसके बाद मंत्रोच्चारण से भाग्योदय तीर्थक्षेत्र में वि के सबसे ऊंचे जैन मंदिर सर्वते भद्र दिगम्बर सहस्त्रकूट जिनालय का शिलान्यास किया गया। हजारों श्रद्धालु शिलान्यास के चारों ओर मौजूद थे।

श्रद्धालुओं के वहां पहुचने का आलम यह था कि सुबह लगभग 10.00 तक पूरे परिसर की ऐसी हालत हो गई कि जिसे जहां जगह मिली, वहीं से खड़ा होका शिलान्यास की एक झलक पाने का जनत करता रहा। इस दौरान आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्यश्री ने कहा कि मेरा कई बार सागर आना हुआ और चातुर्मास में भी मैं यहां आया। यहां के लोगों की बहुत मांग थी किंतु भाग्योदय तीर्थ बनाने का मामला था तो मैं यहां चलकर आ गया हूं। अब इस चतुर्मखी मंदिर के शिलान्यास के बाद आप सभी इसे भाग्योदय तीर्थ कहें।


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