आज प्रत्येक व्यक्ति अच्छा दिखना चाहता है लेकिन अच्छा करना नहीं चाहता: मुनिश्री प्रमाण सागर


विदिशा। मनुष्य के साथ यह विशेषता है कि वह यदि ठीक तरीके से चले तो यह संसार की सर्वश्रेष्ठ कृति बन जाता है और यदि वह गलत तरीके से चले तो विकृति बनने में देर नहीं लगती। महत्वपूर्ण जन्म नहीं जीवन शैली है। हम किस तरीके से जी रहे हैं महत्व इसका है। आज प्रत्येक व्यक्ति अच्छा दिखना चाहता है, लेकिन अच्छा करना नहीं चाहता। यह बात मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज ने शीतलधाम पर सुबह हुई सभा में कही।

महाराज ने कहा कि हमारे पास शक्ति है विचार के बाेलने की। सही सोचें, सही देखें, सही बाेलें, सही करें, इन चार बातों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि प्रतिदिन 24 घंटे हमारे पास 60 हजार विचार आते हैं, उनमें से कुछ विचारों का तो कोई महत्व ही नहीं है, वह कोई काम के नहीं होते हैं और उन फिजूल विचारों से अपनी एनर्जी वेस्ट करते हैं। उन्होंने कहा कि मैं अक्सर कहता हूं कि फोटू तो सभी की बहुत अच्छी हैं, लेकिन एक्सरे- के बुरे हाल हैं। उन्होंने कहा कि अच्छे दिखाे नहीं, अच्छा बनो। जिसकी सोच अच्छी होती है वही आसमान छूते हैं। घटिया सोच वालों से धरती कांपती हैं। जब तक आपकी सोच नहीं बदलेगी तब तक आपका जीवन नहीं बदल सकता।

दोपहर में मुनि संघ ने नव निर्माणाधीन समवसरण मंदिर का अवलोकन किया

मनुष्य के साथ यह विशेषता है कि वह यदि ठीक तरीके से चले तो यह संसार की सर्वश्रेष्ठ कृति बन जाता है और यदि वह गलत तरीके से चले तो विकृति बनने में देर नहीं लगती।

सोच कितनों की है कि समाज के लिए मैं क्या योगदान दूं

महाराज ने कहा कि समाज के प्रति भी आपकी सोच उदार होना चाहिए। आप चाहते हो कि समाज मुझे महत्व दे, मुझे आगे रखे लेकिन यह सोच कितनों की रहती है कि समाज के लिए मैं क्या योगदान दूं। आज आप जो संस्कारित होकर बैठे हो यह समाज की ही देन है। इस अवसर पर मुनि पुराण सागर जी महाराज ने भी संबोधन दिया।

सभी मेरे प्रति अनुकूल बने रहे हैं यह जरूरी नहीं

महाराज ने कहा कि सभी मेरे प्रति अनुकूल बने रहें यह जरूरी नहीं है, मैं सभी के प्रति अनुकूल बन जाऊं यह सोच हमारी होना चाहिए। उन्होंने हास्य व्यक्त करते हुए कहा कि एक बार ऐसा हुआ बहुत से दंपत्ति मेरे पास बैठे थे, मैंने उनसे पूछा कि बताओ आप लोगों में से कितनी हैं कि जो यह चाहती हैं कि आपको दोबारा यही पति मिले, तो एक ने भी हाथ नहीं उठाया। उसी प्रकार एक आदमी मरनासन्न था और भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि हे भगवान मुझे उठा ले तो पीछे से उसकी पत्नी भी बोली कि हे भगवान मुझे उठाले..तो पति बोला कि हे भगवान यदि ये आ रही है तो मुझे मत बुलाना…उन्होंने कहा कि आजकल यह तो स्थिति है। तुम्हारा चिंतन तुम्हारे स्वार्थ के आस पास घूमता रहता है। बार-बार एक ही बात कही कि अपने स्वजनों के प्रति सोच को बदल लोगे तो आपके जीवन में खुशहाली आ जाएगी। उन्होंने कहा कि सोच बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक होना चाहिए। आपस में बंधुत्व की उदार भावना होना चाहिए।

भावना योग शिविर का आयोजन

मंच पर मुनि  श्री प्रसाद सागरजी, मुनि उत्तम सागरजी, मुनि शैल सागर जी  एवं मुनि निकलंक सागर जी महाराज भी उपस्थित थे। दोपहर में मुनि संघ ने नव निर्माणाधीन समवसरण मंदिर का अवलोकन किया। शु इसी के साथ दो दिवसीय भावना योग शिविर का आयोजन भावना योग के प्रणेता मुनि श्री  प्रमाण सागर जी महाराज के सान्निध्य में नगर के एसएटी आई प्रांगण ओपन स्टेज हाल में शनिवार एवं रविवार को सुबह 7 बजे से भावना योग शिविर का आयोजन किया जाएगा। श्री सकल दिगंबर जैन समाज एवं श्री शीतल विहार न्यास के प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया कि मुनि श्री ने भारत वर्ष के कई नगरों भावना योग कराया है एवं उसके माध्यम से आपके जीवन में जो तनाव है, उससे मुक्ति एवं सुख, शांति और समृद्धि को लाने का प्रयास किया है। प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया कि शनिवार को प्रातः कालीन प्रवचन शीतलधाम पर नहीं होगा। शुक्रवार दोपहर को मुनिसंघ को श्री फल अर्पित करने के लिए गुना, गंजबासौदा, पठारी, मंडीबामौरा के श्रद्धालु आए।

 

   — अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी


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