सुख की चाहत है तो जीवों के प्रति दया भाव रखो : आचार्य वासुपूज्य सागर

jain acharya vasupujya in katni
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कटनी, आचार्य वासुपूज्य सागर जी, मुनिराज श्रेयसागर जी, आर्यिका श्रेयमति सहित पांच पीछियों का समागम जैन धर्मशाला तेवरी में गुरुवार को हुआ। यहां के जैन समाज के लोगों ने आचार्यश्री संसंघ की आगवानी पूरे उत्साह और श्रद्धाभाव से की। आचार्यश्री संसंघ जबलपुर से विहार कर तेवरी पहुंचे हैं। यहां पर प्रवचन के दौरान आचार्यश्री ने कहा कि प्रथ्वी का प्रत्येक प्राणी सुख की चाहत रखता है और दुख से बचना चाहता है। व्यक्ति का कर्त्तव्य है कि वह सम्पूर्ण जगत के कल्याण की भावना को मन में उतारे। उन्होंने आगे कहा किसुख की कामना करते हो तो हम सभी को जीवों के प्रति दया भावना भानी होगी। उन्होंने आगे कहा कि अहंकार ही व्यक्ति के पतन का कारण है। अहंकार का विसर्जन कर और दयाभाव का पालन कर ही व्यक्ति ऊचाइयों तक पहुंच सकता है। कार्यक्रमें श्रुत पंचमी का भी आयोजन किया गया। भगवानश्री की पालकी यात्रा निगाली गयी और सांस्कृति कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया।


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